7 अक्टूबर से पहले हमास को हथियार बनाने की टेक्निकल ट्रेनिंग देना चाह रहा था ईरान, गाजा से जब्त दस्तावेजों के आधार पर IDF का दावा

इजरायल और अमेरिका ईरान पर हमास को वित्तीय और सैन्य सहायता प्रदान करने का आरोप लगाता रहा है. इजरायली अधिकारियों का कहना है कि ट्रक से मिले ये दस्तावेज इस बात का सबूत हैं कि इजरायल पर 7 अक्टूबर से हमले से पहले ईरान हमास को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना चाह रहा था, ताकि हमास को इससे अपने हथियार बनाने में मदद मिल सके

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aajtak.in

  • तेल अवीव,
  • 15 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

फिलिस्तीन के संगठन हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल को दहला देने वाला हमला किया था. इजरायल इस हमले के पीछे ईरान का हाथ बता रहा है. अब इजरायली सेना को कुछ ऐसे सबूत मिले हैं, जिनके आधार पर उसने दावा किया है कि ईरान 7 अक्टूबर के हमले से पहले हमास को अपने हथियार बनाने में मदद करना चाहता था. हमास द्वारा किए गए हमले में इजरायल में 1400 नागरिकों की मौत हुई है. इन हमलों के जवाब में इजरायल लगातार गाजा में हमास के ठिकानों पर बमबारी कर रहा है और ग्राउंड ऑपरेशन चला रहा है. 

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सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सेना को गाजा के बाहर हमास के ट्रक में कंप्यूटर से मिले एक दस्तावेज बरामद हुआ है. इसे पता चलता है कि हमास के एक सैन्य कमांडर ने ईरान की यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग, भौतिकी और प्रौद्योगिकी का अध्ययन करने के लिए हमास के लड़ाकों के लिए स्कॉलरशिप की अपील की थी. 

इजरायल और अमेरिका ईरान पर हमास को वित्तीय और सैन्य सहायता प्रदान करने का आरोप लगाता रहा है. इजरायली अधिकारियों का कहना है कि ट्रक से मिले ये दस्तावेज इस बात का सबूत हैं कि इजरायल पर 7 अक्टूबर से हमले से पहले ईरान हमास को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना चाह रहा था, ताकि हमास को इससे अपने हथियार बनाने में मदद मिल सके. 

इजरायली सरकार ने इस दस्तावेज पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हालांकि, सरकार के सूत्रों ने दस्तावेज की पुष्टि की है. एक इजरायली अधिकारी ने कहा कि यह उदाहरण दुनिया भर में खासकर गाजा पट्टी में ईरानी शासन द्वारा आतंकी प्रॉक्सी के निर्माण, समर्थन, वित्तपोषण और प्रशिक्षण के गहरे बुनियादी ढांचे की विस्तृत पहेली में एक और सबूत है.

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इजरायली अधिकारियों का कहना है कि यह ईरान द्वारा हमास के कार्यकर्ताओं के लिए इस तरह के यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग को वित्तपोषित करने का प्रयास करने का पहला उदाहरण है. वहीं, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि वे इसकी पुष्टि नहीं कर सकते. हालांकि, वर्तमान और पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने कहा, यह इस बात के अनुरूप है कि ईरान पूरे मध्य पूर्व में अपनी शक्ति कैसे प्रोजेक्ट करता है. 1980 के दशक में लेबनानी हिजबुल्लाह की स्थापना के बाद से ईरान ने अपना प्रभाव बनाने, संभावित खुफिया संपत्ति विकसित करने और अपनी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए स्कॉलरशिप का इस्तेमाल किया.

ईरान में हुई थी हमास लड़ाकों की ट्रेनिंग

इससे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इजरायल पर भीषण हमला से कुछ हफ्तों पहले ही हमास के सैकड़ों लड़ाकों ने ईरान में ट्रेनिंग की थी. अखबार ने इस मामले के जानकार खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया कि इजरायल में 7 अक्टूबर को हुए नरसंहार में शामिल हमास और इस्लामिक जिहाद के करीब 500 लड़ाकों ने सितंबर में ही ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर्प्स के नेतृत्व में ट्रेनिंग ली थी.

अखबार ने ये दावा ऐसे वक्त पर किया, जब हमले के बाद से इजरायल कत्लेआम के पीछे ईरान का हाथ होने का आरोप लगा रहा है. हमास और इस्लामिक जिहाद ने न सिर्फ इजरायल पर हजारों रॉकेट दागे थे, बल्कि उनके लड़ाके बार्डर पर लगे हाई टेक बाड़ को काटकर सीमावर्ती इलाकों में घुस गए थे और आम लोगों पर गोलियां बरसाई थीं. इतना ही नहीं 224 लोगों को बंधक बनाकर गाजा पट्टी में भी लाया गया था.  

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