अमेरिकी फाइनेंसर, कन्विक्टिड सेक्स ऑफेंडर और एलीट नेटवर्कर जेफ्री एपस्टीन जिसने दशकों तक पैसे, सत्ता और रसूख के सहारे नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और सेक्स ट्रैफिकिंग का एक गुप्त नेटवर्क खड़ा किया. वह लंबे समय तक कानून की पकड़ से बाहर रहा लेकिन अब एक-एक कर उसके काले-चिट्ठे दुनिया के सामने आ रहे हैं. जस्टिस डिपार्टमेंट 19 दिसंबर को एपस्टीन से जुड़ी सभी खुफिया फाइलें सार्वजनिक करने जा रहा है. लेकिन इससे पहले डेमोक्रेट्स सांसदों ने 68 नई तस्वीरें रिलीज की हैं जिसमें निगाहें जाकर लोलिता पर टिक गई हैं.
लेकिन जेफ्री एपस्टीन की इन तस्वीरों और अमेरिकी उपन्यासकार व्लादिमीर नोबोकोव के विवादित उपन्यास लोलिता के बीच समानता क्या है? समानता है सोच की... दुनिया के सबसे बडे़ पीडोफाइल के रूप में कुख्यात एपस्टीन नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण का दोषी है. उसने अपनी पार्टनर के साथ मिलकर बड़ी तादाद में नाबालिग बच्चियों को बहला-फुसलाकर, डरा-धमकाकर या उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर इस स्कैंडल में खींचा.
एपस्टीन से जुड़ी हुईं जो 68 नई तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें नग्न बच्चियों के शरीर पर जगह-जगह लोलिता उपन्यास की लाइनें लिखी हुई हैं. एक तस्वीर में एक बच्ची के पैर के पास लोलिता किताब भी नजर आ रही है. इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि किसी बच्ची की गर्दन पर तो किसी की छाती पर, किसी के पैर पर तो किसी के पेट पर जगह-जगह लोलिता नोवेल की लाइनें कोट की गई हैं. एक जगह लिखा है. She was Lo, plain Lo, in the morning… एक तस्वीर में लिखा है. Lo-lee-ta: the tip of the tongue taking a trip…
इन लाइनों का हिंदी तर्जुमा बताऊं तो कहा गया है कि वह सुबह के समय Lo थी, सिर्फ Lo. वह स्कूल में डॉली थी. सरकारी कागजों में डोलोरेस है जबकि मेरी बाहों में वह सिर्फ लोलिता थी. एक तस्वीर में लिखा गया है कि लो-लि-ता.. एक ऐसा नाम, जिसे बोलते ही जीभ मुंह में घूमती है, जैसे कोई इच्छा धीरे-धीरे आकार ले रही हो.
बता दें कि नोबोकोव का 1955 में लिखा यह उपन्यास जब छपा तो दुनियाभर में तहलका मच गया. अधेड़ उम्र के पुरुष हम्बर्ट का 12 साल की बच्ची से आकर्षित होना और उसे हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जाना लोगों को नागवार गुजरा. आलम ये था कि इस उपन्यास को कई देशों में बैन कर दिया गया.
Lolita में एक वयस्क की नाबालिग लड़की के प्रति यौन आकर्षण दिखाया गया है और एपस्टीन के केस में यही बाल यौन शोषण का विषय था इसलिए नाबालिग लड़कियों के शरीर पर लोलिता उपन्यास की लाइनें दिखाना प्रतीकात्मक बयान जैसा है. यह शायद उस मानसिकता या अपराध से जुड़ी सोच को उजागर करने का तरीका है.
लोलिता की तुलना जेफ्री एपस्टीन से इसलिए की जाती है क्योंकि दोनों में एक ही खतरनाक पैटर्न दिखता है-नाबालिग लड़कियां. ताकतवर वयस्क और अपराध को ढकने वाली भाषा. लोलिता में हम्बर्ट अपनी बीमार चाहत को सुंदर अंदाज में पेश करता है, जिससे अपराध नरम और भ्रमित करने वाला लगने लगता है. वहीं, एपस्टीन के मामले में मॉडलिंग, मसाज और मेंटॉरशिप जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर यौन शोषण को सामान्य और स्वीकार्य दिखाने की कोशिश की गई. दोनों ही मामलों में पीड़िता की आवाज दब जाती है और कहानी अपराधी या ताकतवर पक्ष के नजरिए से चलती है. यही वजह है कि लोलिता आज सिर्फ एक उपन्यास नहीं, बल्कि उस मानसिकता का प्रतीक बन चुकी है जो सत्ता, उम्र और भाषा के सहारे शोषण को छिपाती है और एपस्टीन उस मानसिकता का वास्तविक और भयावह उदाहरण है.
बता दें कि आज जो तस्वीरें जारी की गई हैं, उनमें माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स से लेकर, फिल्म प्रॉड्यूसर वुडी एलन, गूगल के को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन, प्रसिद्ध दार्शनिक नोम चॉम्स्की, ट्रंप के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन और लेखक डेविड ब्रूक्स शामिल हैं. हालांकि, इससे इन लोगों की एपस्टीन के काले-कारनामों में सीधे-सीधे संलिप्तता नजर नहीं आती.
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