'ट्रंप को इकोनॉमी की बिल्कुल समझ नहीं, ईगो से तबाह हो रहे संबंध...', US एक्सपर्ट्स ने खोली टैरिफ गेम की पोल

भारत पर हैवी टैरिफ लगाना कैसे ट्रंप की नीतिगत असफलता रही है इसकी पोल अमेरिकी रणनीतिकारों ने ही खोली है. डेमोक्रेटिक पार्टी के भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने तो साफ कहा है कि ट्रंप के ईगो की वजह से भारत-अमेरिकी संबंध बर्बाद हो रहे है. लेकिन इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है.

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US एक्सपर्ट ने कहा है कि ट्रंप ने दशकों की कोशिश को ध्वस्त कर दिया है. (Photo: ITG) US एक्सपर्ट ने कहा है कि ट्रंप ने दशकों की कोशिश को ध्वस्त कर दिया है. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्य भारत के साथ साझेदारी को नष्ट कर रहे हैं. ट्रंप के 'ईगो' को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ "रणनीतिक संबंध" को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. ये बयान एक कद्दावर अमेरिकी सांसद और और दो पूर्व शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों के हैं. 

अमेरिका-भारत कॉकस के सह-अध्यक्ष भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी रो खन्ना ने कहा कि वह अमेरिका-भारत साझेदारी को "नष्ट" करने के लिए ट्रंप द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर अलार्म बजा रहे हैं. 

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खन्ना ने ट्रंप पर "अमेरिका-भारत गठबंधन को मज़बूत करने के लिए 30 वर्षों से चल रहे दोनों देशों के प्रयासों को कमजोर" करने का आरोप लगाया. 

खन्ना ने आगे कहा कि ट्रंप की नीतियां "भारत को चीन और रूस की ओर धकेल रही हैं", यह एक ऐसा ट्रेंड है जो अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका है. उन्होंने कहा कि भारत पर लगाया गया टैरिफ ब्राजील को छोड़कर किसी भी अन्य देश की तुलना में ज़्यादा हैं और चीन जो रूसी ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार है, पर लगाए गए टैरिफ से भी ज़्यादा है.

ट्रंप का ईगो और विवाद की मूल वजह

रो खन्ना ने इस विवाद की मूल वजह की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसकी वजहें बहुत स्पष्ट हैं. 

खन्ना ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने से इनकार करने के कारण दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. जबकि पाकिस्तान ने ऐसा खुशी-खुशी किया था.

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अमेरिकी डिप्लोमेसी में एक प्रभावी आवाज बनकर उभरने वाले रो खन्ना ने इस्लामाबाद के एक बयान का हवाला दिया. जिसमें इस साल मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले संघर्ष को समाप्त करने का श्रेय ट्रंप को दिया गया था. हालांकि भारत ने कहा कि पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद एक आंतरिक मामला है और उसने ट्रंप को कोई श्रेय नहीं दिया. 

खन्ना ने कहा, "हम डोनाल्ड ट्रंप के ईगो को भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को नष्ट करने की अनुमति नहीं दे सकते जो यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि विश्व का नेतृ्त्व अमेरिका करे न कि चीन." रो खन्ना ने भारतीय अमेरिकियों को संबोधित करते हुए कहा कि जिन्होंने ट्रंप को वोट दिया मैं आज उनसे पूछ रहा हूं कि आप कहां हैं जब कि ट्रंप इस रिश्ते को खत्म कर रहे हैं.

चोटी के अमेरिकी रणनीतिकारों ने जताई चिंता

टैरिफ और रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर निशाना साधने वाले ट्रंप के एक्शन की अमेरिका के दूसरे रणनीतिकारों ने भी सख्त आलोचना की है. इनमें में वे अधिकारी भी शामिल हैं जो व्हाइट हाउस प्रशासन में सेवा दे चुके हैं.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने सोमवार को कहा कि ट्रंप ने "भारत के साथ संबंधों को दरकिनार कर दिया है" क्योंकि पाकिस्तान उनके परिवार के साथ व्यापारिक सौदे करने को तैयार है. उन्होंने इस कदम को अमेरिका के लिए "बहुत बड़ा रणनीतिक नुकसान" बताया. 

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पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में बतौर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार काम कर चुके जैक सुलिवन ने कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप परिवार के साथ व्यापारिक समझौते करने की पाकिस्तान की इच्छा के कारण ट्रंप ने भारत के साथ संबंधों को किनारे कर दिया है.

जॉन बोल्टन भी ट्रंप से नाराज

ट्रंप के पहले कार्यकाल में एनएसए के रूप में कार्य करने वाले जॉन बोल्टन ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को रूस से दूर करने तथा चीन द्वारा पैदा हुए खतरे के प्रति आगाह करने के पश्चिमी देशों के दशकों के प्रयासों को "ध्वस्त" कर दिया है. 

जॉन बोल्टन ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट किया, "पश्चिम ने दशकों से भारत को सोवियत संघ रूस से दूर रखने की नीति पर काम किया और चीन से पैदा होने वाले खतरे के प्रति भारत को आगाह भी किया है. डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी विनाशकारी टैरिफ नीति से दशकों के प्रयासों को ध्वस्त कर दिया है."

बोल्टन ने कहा कि भारत ने कई ऐसे काम किए हैं जिससे भारत नाराज हुआ है, ट्रंप इसे अमेरिका के लिए शानदार बताते हैं लेकिन ये 'तबाही' है.

इकोनॉमिक्स की समझ है ही नहीं

न्यूयॉर्क स्थित स्कूल ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर ग्लोबल अफेयर्स के विश्लेषक एडवर्ड प्राइस कहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप को अर्थशास्त्र की कोई समझ नहीं है. मौजूदा समय में भारत के साथ टकराव की कोई जरूरत नहीं थी. 

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उन्होंने कहा, "मैं पहले सोचता था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अर्थशास्त्र की बहुत कम समझ है और अब मुझे एहसास हुआ है कि मैं गलत था. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति को अर्थशास्त्र की कोई समझ नहीं है, भारत के प्रति उनके व्यवहार को देखते हुए... खासकर मौजूदा समय में, अमेरिका और भारत के बीच इस तरह टकराव की कोई वजह नहीं है. यह जरूरी नहीं था और यह पूरी तरह से अमेरिका की करतूत थी."

एडवर्ड प्राइस ने कहा कि ट्रंप ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को नुकसान पहुंचाया है. या तो वह अमेरिकी राष्ट्रीय हित को नहीं समझते या फिर इसके खिलाफ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं.

इस बीच एक तरह के साकारात्मक संकेत में ट्रंप ने कहा है कि हम भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध रखते हैं. लेकिन उन्‍होंने यह भी कहा क‍ि भारत के साथ अमेरिका का व्यापारिका रिश्ता एकतरफा था. और व्‍यापार संतुल‍ित नहीं था.

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