'US कांग्रेस में सबसे ज्यादा मजबूत रही इजरायल लॉबी हो गई कमजोर...', बोले डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि कभी कांग्रेस में सबसे मज़बूत रही इज़रायल की लॉबी अब कमजोर हो गई है. उन्होंने माना कि अमेरिका में इज़रायल के खिलाफ पब्लिक ओपिनियन बढ़ रहा है. सर्वे बताते हैं कि युवा और रिपब्लिकन भी इज़रायल की नीतियों से असहमत हो रहे हैं, जिससे उसका समर्थन घटा है.

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अमेरिका में इजरायली लॉबी पर बोले डोनाल्ड ट्रंप (File Photo: ITG) अमेरिका में इजरायली लॉबी पर बोले डोनाल्ड ट्रंप (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:37 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें इस बात पर 'आश्चर्य' है कि कांग्रेस में कभी इज़रायल की 'सबसे मज़बूत' लॉबी अब उतनी प्रभावशाली नहीं रही जितनी कि अमेरिकी, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन, गाज़ा में इज़रायली सेना के हमले की आलोचना कर रहे हैं.

डेली कॉलर के साथ ओवल ऑफिस में एक इंटरव्यू में, ट्रंप ने पिछले दो दशकों में आए बदलाव पर विचार किया. उन्होंने कहा, "दो दशक पहले, इज़रायल की 'कांग्रेस में सबसे मज़बूत लॉबी' थी. आज उसकी लॉबी उतनी मज़बूत नहीं है, यह आश्चर्यजनक है."

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डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इज़रायल के प्रति राजनीतिक रुख वक्त के साथ बदला है. 15 साल पहले इज़रायल अब तक की सबसे मज़बूत लॉबी थी, और अब उसे चोट पहुंची है.

उन्होंने इज़रायल के साथ अपने रिकॉर्ड पर भी ज़ोर दिया. ट्रंप ने कहा, "इज़रायल अद्भुत है, क्योंकि, आप जानते हैं, मुझे इज़रायल से अच्छा समर्थन प्राप्त है. इज़रायल के लिए मुझसे ज़्यादा किसी ने नहीं किया, जिसमें ईरान के साथ हालिया हमले भी शामिल हैं."

इजरायल के खिलाफ बदल रहा पब्लिक ओपिनियन...

डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब अमेरिका में पब्लिक ओपिनियन इज़राइल की बढ़ती आलोचना को दर्शाता है. मार्च में हुए प्यू (Pew) पोल में पाया गया कि सर्वे में शामिल 53 फीसदी युवा इज़रायल के कदम से सहमत नहीं हैं, जो 2022 में 42 फीसदी था. 50 वर्ष से कम आयु के रिपब्लिकन मेंबर्स में, 50 फीसदी ने इसके प्रति नकारात्मक राय रखी, जो 2022 में 35 फीसदी थी.

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अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बदलाव को स्वीकार किया. उन्होंने कहा, "हां, मुझे इसकी जानकारी है." ट्रंप ने इज़राइल में 7 अक्टूबर को हुए हमलों की गंभीरता पर ज़ोर देते हुए कहा, "7 अक्टूबर का दिन वाकई बहुत भयानक था, क्योंकि मैंने तस्वीरें देखी हैं. यह वाकई बहुत बुरा दिन था."

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अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी चेतावनी दी कि घटनाओं को नकारने से धारणाएं और बिगड़ सकती हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस बात से इनकार करते हैं कि ऐसा कभी हुआ ही नहीं, वे इनकार करने वाले हैं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस बात से इनकार करते हैं कि नरसंहार कभी हुआ ही नहीं. इसलिए, उन्हें उस युद्ध को ख़त्म करना होगा, लेकिन इससे इज़रायल को नुकसान हो रहा है, इसमें कोई शक नहीं. वे युद्ध तो जीत सकते हैं, लेकिन वे पब्लिक रिलेशन की दुनिया नहीं जीत पा रहे हैं, और यह उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है."

पिछले हफ़्ते क्विनिपिएक विश्वविद्यालय (Quinnipiac University) के एक सर्वे से पता चला कि 60 फीसदी वोटर्स इज़रायल को अतिरिक्त अमेरिकी सैन्य सहायता भेजने का विरोध कर रहे हैं. 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमलों के बाद से यह सबसे बड़ा विरोध है. 77 फीसदी डेमोक्रेट्स सहित सर्वे में हिस्सा लेने वाले आधे लोगों ने कहा कि इज़रायल, गाज़ा में नरसंहार कर रहा है.

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गाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, गाज़ा में इज़रायल के करीब दो साल के सैन्य अभियान में 63 हजार से ज़्यादा लोग मारे गए हैं, जिनमें ज़्यादातर आम नागरिक हैं.

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