डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला, सरकारी कर्मचारी वर्कप्लेस पर कर सकते हैं धर्म का प्रचार

अमेरिकी संविधान द्वारा संरक्षित धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए सोमवार को ट्रंप प्रशासन ने सरकारी अधिकारियों को अपने वर्कप्लेस पर अपनी धार्मिक मान्यताओं को बढ़ावा देने की अनुमति दे दी है. बयान में कहा गया है कि सुपरवाइजर अपने कर्मचारियों को अपने धर्म में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, बशर्ते ये कोशिश उत्पीड़नकारी प्रकृति का न हो.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. (Photo: Reuters) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • वाशिंगटन,
  • 29 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:10 AM IST

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को ऐलान किया कि अमेरिका में सरकारी अधिकारी अपने वर्कप्लेस पर धार्मिक मान्यताओं पर चर्चा करने और उनका प्रचार करने की अनुमति दे दी है.

ट्रंप प्रशासन ने अपने इस फैसले के पीछे अमेरिकी संविधान द्वारा संरक्षित धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला दिया, जिससे कानून सही ठहराया गया है.

अमेरिकी सरकारी की मानव संसाधन एजेंसी, कार्मिक प्रबंधन कार्यालय के निदेशक स्कॉट कुपोर ने अपने बयान में कहा कि एजेंसी कर्मचारी ऑफिस में दूसरों को अपने धार्मिक विचारों के बारे में समझाने की कोशिश कर सकते हैं.

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'कर्मचारियों को प्रेरित कर सकते हैं सुपरवाइजर'

उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि सुपरवाइजर अपने कर्मचारियों को अपने धर्म में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, बशर्ते ये कोशिश उत्पीड़नकारी प्रकृति का न हो. इसके साथ ही, एजेंसियां उन कर्मचारियों को परेशान नहीं कर सकतीं जो अपने सहकर्मियों के साथ धार्मिक चर्चा में भाग लेने से इनकार करते हैं.

न्यायालयों ने लंबे वक्त से ये माना है कि नियोक्ता कार्यस्थल में सभी धार्मिक अभिव्यक्तियों को दबा नहीं सकते, लेकिन वे उस आचरण पर अंकुश लगा सकते हैं जो विघटनकारी हो या अनुचित कठिनाई पैदा करता हो, बशर्ते ये सभी धर्मों के सदस्यों पर समान रूप से लागू हो.

अमेरिकी संविधान का पहला संशोधन व्यक्तियों के अपने धर्म का पालन करने के अधिकारों की रक्षा करता है, साथ ही सरकार को किसी एक धर्म या सामान्य रूप से किसी धर्म का पक्ष लेने से रोकता है.

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OPM ने जुलाई के बीच में कहा था कि एजेंसी के कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति मिल सकती है या वे धार्मिक प्रार्थनाओं के लिए अपने काम के घंटों को समायोजित कर सकते हैं. जबकि पहले कर्मचारियों को पूर्णकालिक कार्यालय में उपस्थित होने की मांग की गई थी.

नये बयान में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फरवरी के कार्यकारी आदेश का हवाला दिया गया है. जिसमें एजेंसियों से सरकार के ईसाई-विरोधी हथियारीकरण को खत्म करने का आह्वान किया गया है.

इस आदेश में कैबिनेट सचिवों को उन संघीय कार्यों की पहचान करने का निर्देश दिया गया है जो ईसाइयों के प्रति शत्रुतापूर्ण हैं. ट्रंप ने रूढ़िवादी ईसाई विश्वदृष्टिकोण को अपनाया है और ऐसी नीतियों को बढ़ावा दिया है जो उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले की चिंताओं को दिखाता हैं.

कुपोर के बयान में कहा गया है कि संघीय कर्मचारी वर्कप्लेस पर प्रार्थना समूह भी स्थापित कर सकते हैं, बशर्ते वे अपने वर्किंग आवर्स के दौरान न मिलें.

मेमो में किया गया है 1964 के कानून का उल्लेख

वहीं, मेमो में 1964 के नागरिक अधिकार अधिनियम की धारा VII का उल्लेख किया गया है, जो किसी व्यक्ति के धर्म या धार्मिक प्रथाओं के आधार पर कार्यस्थल में भेदभाव को रोकता है.

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EEOC ने 2008 के मार्गदर्शन डॉक्यूमेंट में कहा, 'धार्मिक विचारों के बारे में एक सहमति आधारित बातचीत, भले ही ये काफी उत्साहपूर्ण हो, उत्पीड़न नहीं मानी जाती अगर यह अवांछित न हो.'

कुपोर का मेमो कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है और इसकी समीक्षा करने वाली कोई भी अदालत धारा VII के संरक्षण के दायरे पर असहमत हो सकता है, लेकिन इस मेमो को सीधे अदालत में चुनौती देना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि कई पिछले मामलों में न्यायाधीशों ने कहा है कि उनके पास आंतरिक एजेंसी डॉक्यूमेंटों की समीक्षा करने का अधिकार नहीं है.

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