प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता का असर अब दिखने लगा है. भारत ने अमेरिकी बोरबॉन व्हिस्की (Bourbon Whiskey) पर आयात शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया है. यानी 50 फीसदी टैक्स को घटाया गया है. भारत की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब मोदी से मुलाकात के पहले ट्रंप ने दक्षिण एशियाई बाजारों में ज्यादा टैक्स की आलोचना की थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर कहा था कि भारत किसी भी देश की तुलना में ज्यादा टैक्स लगाता है. उन्होंने हार्ले डेविडसन का उदाहरण दिया. जिसे लेकर उन्होंने कहा कि भारत में ज्यादा टैक्स की वजह से हार्ले डेविडसन को भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना पड़ा. ताकि उसे टैक्स नहीं देना पड़े. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर भारत ने बोरबॉन व्हिस्की पर टैक्स क्यों घटाया. इस बोरबॉन व्हिस्की का इतिहास क्या है और इसकी मार्केट कितनी बड़ी है...
अमेरिका की है बोरबॉन व्हिस्की
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका बोरबॉन व्हिस्की का प्रमुख निर्यातक है और भारत में इसके आयात का लगभग एक चौथाई हिस्सा अमेरिका से आता है. 2023-24 में भारत ने 2.5 मिलियन डॉलर की बोरबॉन व्हिस्की आयात की थी. वॉशिंगटन और न्यू दिल्ली ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक दोगुना करने की बात कही है. इसमें शुल्क घटाने और बाजारों तक पहुंच बढ़ाना भी शामिल है. ऐसे में भारत ने इस व्हिसकी की लोकप्रियता को और बढ़ाने और बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए ये कदम उठाया है.
अमेरिका की एकमात्र स्वदेशी शराब
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बोरबॉन व्हिस्की अमेरिका की एकमात्र स्वदेशी शराब है, जो मक्का, गेहूं और माल्ट से बनाई जाती है. इसमें करीब 51 प्रतिशत मक्का होता है. अमेरिका में इस व्हिस्की की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1964 में, अमेरिकी कांग्रेस ने बोरबॉन व्हिस्की को "अमेरिका का विशिष्ट उत्पाद" घोषित किया था. अमेरिका में सिर्फ ये एक शराब भर नहीं है बल्कि इसे संस्कृति और यूनिक प्रोडक्ट के नजरिए से देखा जाता है.
बोरबॉन की बात करें तो इसे पुरानी बनाने के लिए एक नए सफेद ओक के बैरल में रखा जाता है. बैरल के अंदरूनी हिस्से को गर्म किया जाता है और फिर उसमें शराब भरकर इसे लंबे समय के लिए रखा जाता है. इसके अलावा, बोरबॉन व्हिस्की में कोई भी रंग या स्वाद नहीं जोड़ा जा सकता.
200 साल से पुराना इतिहास
बोरबॉन पहली बार 1800 के दशक में अमेरिका के केंटकी राज्य के बोरबॉन काउंटी में बनाई गई थी. हालांकि, यह व्हिस्की अब कई जगहों पर बनाई जाती है लेकिन इसकी खासियत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. इसे दुनिया भर में पसंद किया जाता है.
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ऐसे तैयार होती है ये व्हिस्की
इसके निर्माण के लिए पहले मक्का और अन्य अनाजों को कुचला जाता है, फिर इन्हें पानी में मिलाकर 'मैश' तैयार किया जाता है. इस मिश्रण को फिर गर्म किया जाता है और खमीर डालकर उसकी किण्वन प्रक्रिया (fermentation) की जाती है. किण्वन के बाद, इसे डिस्टिल करके अल्कोहल की एक उच्च स्थिति तक लाया जाता है.
बोरबॉन व्हिस्की भी कई तरह की होती है. जो उसकी गुणवत्ता और उम्र के आधार पर अलग होती है.
Straight Bourbon: यह वह बोरबॉन है जिसे कम से कम दो साल तक ओक बैरल में रखा जाता है. इसमें कोई भी स्वाद या रंग नहीं जोड़ा जाता.
Small Batch: इस श्रेणी में, बोरबॉन को छोटे बैचों में बनाया जाता है, जिससे उसकी गुणवत्ता और स्वाद को नियंत्रित किया जा सकता है.
- Single Barrel इस श्रेणी में, बोरबॉन एक ही बैरल से निकाला जाता है, और प्रत्येक बैरल की अपनी विशिष्टता होती है.
कितना बड़ा है इस व्हिसकी का बाजार
2023-24 में, अमेरिका ने 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की बोरबॉन व्हिस्की भारत को निर्यात की थी. यूरोपीय संघ, कनाडा, और जापान जैसे देशों में भी बोरबॉन की मांग अत्यधिक है. बोरबॉन के निर्यात में वृद्धि का मुख्य कारण इसका अलग स्वाद और गुणवत्ता है. इसके अलावा, बोरबॉन व्हिस्की का निर्यात अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. 2019 में, अमेरिकी व्हिस्की उद्योग का कुल निर्यात लगभग 1.3 बिलियन डॉलर था, जिसमें बोरबॉन का हिस्सा प्रमुख था.
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