चुनाव में जमात-ए-इस्लामी को जिताने की चाल या फिर... बांग्लादेश में उस्मान हादी की हत्या की वजह क्या

बांग्लादेश के छात्र नेता उस्मान हादी को 12 दिसंबर को ढाका में बाइक सवार लोगों ने गोली मारी थी. उन्हें गंभीर हालत में इलाज के लिए बाद में सिंगापुर ले जाया गया था, जहां उनकी गुरुवार रात मौत हो गई. हादी की मौत की खबर से बांग्लादेश उबल पड़ा.

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उस्मान हादी की हत्या के बाद से बांग्लादेश में उबाल (Photo: PTI) उस्मान हादी की हत्या के बाद से बांग्लादेश में उबाल (Photo: PTI)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:36 PM IST

बांग्लादेश में छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद देश बेकाबू हो गया है. कल रात जैसे ही सिंगापुर में छात्र नेता हादी की मौत की खबर ढाका पहुंची पूरा बांग्लादेश जल उठा. बांग्लादेश में दो बड़े अखबारों का दफ्तर फूंक दिया गया. देश के सबसे बड़े अखबार डेली स्टार और प्रोथोम आलो के ऑफिस में जबरन घुसकर तोड़फोड़ और आगजनी की गई. इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान के आवास में भी तोड़फोड़ की गई है और शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के ऑफिस को भी जला दिया गया है.

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उसमान हादी दरअशल शेख हसीना के खिलाफ जुलाई 2024 में हुए छात्र आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक था. उसे 12 दिसंबर को चुनाव प्रचार के दौरान सिर में गोली मारी गई थी. इसके बाद उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था. लेकिन छह दिन बाद उसकी मौत हो गई. इसके बाद बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और आगजनी की गई. प्रदर्शनकारियों ने सांस्कृतिक संगठन, छायानोट भवन पर हमला किया. बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की और इसे आग लगा दिया. आज भी बांग्लादेश में तनाव है. छात्र और आम लोग शाहबाग चौराहे पर इकट्ठा होते नजर आए. मोहम्मद यूनुस ने लोगों से शांति की अपील की है.

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश एक बार फिर सुलग रहा है. गुरुवार की रात बांग्लादेश जल उठा.  हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी के साथ भारतीय सहायक उच्चायोग को भी निशाना बनाया गया. शहर-शहर भारत विरोधी नारे लगे. शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के सदस्यों को मौत के घाट उतारने का खुलेआम ऐलान किया गया. ये हिंसा और आगजनी तब भड़की जब सिंगापुर से ये खबर आई कि घायल हादी की मौत हो गई है.

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बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?

बांग्लादेश के 12 अक्टूबर के सीसीटीवी फुटेज में एक बैटरी रिक्शा पर सवार शख्स का पीछा कर रहे बाइक सवार करीब आते हैं और फिर गोली चलाते हैं. अगले सीसीटीवी कैमरे में वो बाइक सवार फरार होते नजर आते हैं. रिक्शे पर उस्मान हादी सवार था, जो इस्लामी मंच का प्रवक्ता था और 12 फरवरी को हो रहे संसदीय चुनाव में ढाका से निर्दलीय उम्मीदवार था.

हादी ने कुछ ही घंटे पहले ऐसा नक्शा पोस्ट किया था, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा बताया गया था. हमलावर की गोली दाहिनी कनपटी से होकर सिर के बाएं हिस्से से निकल गई. उसका इलाज पहले ढाका में हुआ और फिर सिंगापुर भेजा गया. कल रात उसने दम तोड़ दिया. उसके बाद से बांग्लादेश में बवाल मच गया.

हिंसा का आलम ये है कि प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के सबसे बड़े अखबार प्रोथोम आलो के दफ्तर में पहले तोड़फोड़ की और फिर उसे आग के हवाले कर दिया. पूरा दफ्तर जलकर राख हो गया. प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि ये अखबार भारत का पक्ष लेता है जबकि सच्चाई यही है कि ये मोहम्मद यूनुस समर्थक है.

प्रदर्शनकारियों के गुस्से का शिकार डेली स्टार नाम के अखबार का दफ्तर भी हुआ. यहां प्रदर्शनकारियों ने पहले तोड़फोड़ की और उसे फूंक दिया. जब यहां आग लगाई गई तब 30 से ज्यादा पत्रकार अदंर थे. उन्होंने जान बचाने की गुहार लगाई. तब स्काई लैडर लगाकर सेना की मदद से उन्हें बचाया गया.

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अब सवाल ये कि हादी की हत्या के बाद गुस्सा भारत के खिलाफ क्यों फूटा? दरअसल, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने हादी पर हमला होते ही भारत के उच्चायुक्त को तलब किया. उनसे कहा कि हमलावर भारत में दाखिल हो गए हैं और उन्हें सौंपा जाए. भारत ने यूनुस सरकार के दावे को खारिज कर साफ कर दिया कि भारत की जमीन का इस्तेमाल मित्र जैसे बांग्लादेश के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा. लेकिन शेख हसीना के भारत में शरण लेने के बाद से ही कट्टरपंथी छात्रों और यूनुस सरकार को हादी पर हमले के बाद मौका मिल गया. पहले तो ढाका में भारतीय उच्चायुक्त का घेराव किया गया. उसमें घुसने की धमकी दी गई और फिर हादी की मौत के बाद हिंसा को खुली छूट दे दी गई.

इन प्रदर्शनों की शुरुआत ढाका के शाहबाग से हुई, जहां उस्मान हादी का घर है. गुस्से में आपा खो चुके प्रदर्शनकारियों ने वरिष्ठ पत्रकार नूरुल कबीर को भी नहीं बश्खा. वो न्यू एज अखबार के एडिटर हैं. उन्हें उनकी कार से घसीटकर निकाला गया और बुरी तरह पिटाई की गई. वहीं चट्टग्राम में सहायक भारतीय उच्चायोग पर पत्थरबाजी की गई. पत्थरबाजी के दौरान खुद एक प्रदर्शनकारी घायल होकर गिर पड़ा. हिंसा को बेकाबू होता देखा मोहम्मद यूनुस ने लोगों से शांति और धैर्य की अपील की. 

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बांग्लादेश में अचानक भड़की हिंसा की वजह क्या?

इस्लामी कट्टरपंथियों ने केवल अखबारों के दफ्तरों पर हमले नहीं किए उन्होंने बांग्लादेश की सांस्कृति पहचान को भी मिटाने की कोशिश की. अल्लाह हू अकबर की नारेबाजी के साथ ये हमला छायानाट संगठन के दफ्तर पर हुआ. साढ़े छह दशक पुराने सांस्कृतिक संगठन छायानाट पर हमला कर, तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई. ये वही छायानाट बिल्डिंग है, जहां नालंदा स्कूल चलता है, जो देश का एक प्रमुख बंगाली मीडियम स्कूल है जहां अधिकतर छात्र हिंदू हैं. साफ है कि हादी की मौत के बहाने इस्लामी कट्टरपंथी हिंदुओं पर हमले कर रहे हैं.

बांग्लादेश में हिंसा फिलहाल थम गई है लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी हैं. ढाका की सड़कों पर इस्लामी कट्टरपंथियों का जमावड़ा है. इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान बिन हादी की मौत के बाद ये सड़कों पर उतर आए हैं. हादी की मौत के बहाने शेख हसीना की आवामी लीग और भारत के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है जबकि हकीकत यही है कि शेख हसीना के तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस की सरकार में बांग्लादेश में कानून व्यवस्था बेकाबू है. 12 फरवरी को वहां चुनाव हैं और चुनाव की घोषणा के बावजूद एक उम्मीदवार की हत्या हो जाती है. यही नहीं, हत्यारों को ढूंढने के बजाए यूनुस सरकार भारत पर बेतुके आरोप लगा रही है.

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और ओस्मान हादी की हत्या को लेकर बांग्लादेश के पूर्व मंत्री ने एक बड़ा दावा किया है. BRK के पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने दावा किया है कि हादी को उसके ही किसी करीबी ने गोली मारी थी. गोली मारने वाला हादी के ही हथियारबंद गैंग का सदस्य है. शेख हसीना की सरकार में मंत्री रह चुके मोहिबुल हसन चौधरी ने दावा किया कि इस हिंसा के पीछे यूनुस सरकार के दो बड़े मकसद हैं. एक तो वो 12 फरवरी को होने वाले चुनाव को टालना चाहती है और दूसरा ये कि वो शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को खत्म करना चाहती है जो अब भी बांग्लादेश में सक्रिय हैं.

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