अगस्त 2024 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से विदाई के पीछे अमेरिकी 'डीप स्टेट' का हाथ होने की अफवाहें लंबे समय से थीं. अब, बांग्लादेश के पूर्व मंत्री और संकट के दौरान मुख्य वार्ताकार रहे मोहिबुल हसन चौधरी ने इस बात की पुष्टि करने का दावा किया है.
रशिया टुडे (RT) मीडिया आउटलेट को दिए एक इंटरव्यू में चौधरी ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस से जुड़े समूह, यूएसएआईडी (USAID), क्लिंटन परिवार और बाइडेन प्रशासन के एक गठजोड़ ने फंड मुहैया कराया. इस फंड का इस्तेमाल कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने और ढाका में 2024 के सरकार को अस्थिर कर हटाने के लिए किया गया.
चौधरी ने कहा कि शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने वाले दंगे अचानक नहीं हुए थे, बल्कि 2018 से ही इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट (IRI) जैसे अमेरिकी गैर सरकारी संगठनों (NGOs) के साथ मिलकर कुछ परिवार (विशेषकर बाइडेन और क्लिंटन) लगातार उनकी सरकार के ख़िलाफ़ अभियान चला रहे थे.
मंत्री का बड़ा खुलासा
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि छात्र विरोध प्रदर्शन, जो शुरू में नौकरी कोटा सुधारों को लेकर शुरू हुए थे, को "इस पैसे से सावधानीपूर्वक नियोजित" किया गया था. उन्होंने दावा किया कि यह अव्यवस्था (Chaos) बाद में बड़े दंगे में बदल गई, जिसमें इस्लामी तत्वों की घुसपैठ भी हुई.
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चौधरी ने खुलासा किया कि सरकारी नौकरी कोटे के विरोध में शुरू हुआ छात्र आंदोलन पहले से फंडेड था. उन्होंने कहा,“अराजकता की ये योजना पहले से बनाई गई थी. इस पैसों से दंगे भड़काए गए और हसीना सरकार को घुटनों पर लाने की कोशिश हुई. USAID की करोड़ों डॉलर की फंडिंग का कोई हिसाब नहीं था.यह पैसा ‘रेजीम चेंज’ (regime change) गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हुआ.”
चौधरी ने नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस को भी इस कथित अमेरिकी साजिश का हिस्सा बताया.उनके मुताबिक, यूनुस उस वक्त यूरोप में थे और बाद में उन्हें बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख सलाहकार बनाया गया.
यूनुस और क्लिंटन परिवार में संबंध
चौधरी ने यह भी दावा किया कि "क्लिंटन परिवार और अंतरिम यूनुस शासन" के बीच लंबे समय से संबंध हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हसीना सरकार को अस्थिर करने के लिए 'गुप्त एनजीओ को फंडिंग' दी जा रही थी और यूएसएआईडी से लाखों डॉलर का फंड गायब था, जिसका इस्तेमाल "सरकार गिराने की गतिविधियों" के लिए किया गया.
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शेख हसीना के देश से भागने के बाद, मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया. चौधरी ने पूरे घटनाक्रम को 'पश्चिमी प्रायोजित ऑपरेशन' बताया, जिसका उद्देश्य हसीना के लंबे शासन को उखाड़ फेंकना और ढाका में एक अधिक आज्ञाकारी (pliant) व्यवस्था स्थापित करना था.
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