पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची को लेकर सियासी संग्राम तेज हो गया है. टीएमसी ने चुनाव आयोग (ECI) और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि 2002 की वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की गई है और लाखों असली मतदाताओं के नाम चुपचाप हटाए जा रहे हैं. पार्टी का आरोप है कि हार्ड कॉपी और वेबसाइट पर अपलोड की गई वोटर लिस्ट एक जैसी नहीं है.
'SIR से पहले ही डिलीट किए जा रहे वोटर्स के नाम'
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा, 'दोनों लिस्ट एक जैसी नहीं हैं. कई नाम पहले ही हटा दिए गए हैं और अब एडिटेड लिस्ट को वेबसाइट पर डाला जा रहा है. बीजेपी कह रही है कि 1 करोड़ से ज्यादा नाम हटेंगे... अब समझ आ रहा है कि वे ऐसा दावा कैसे कर रहे हैं, क्योंकि 'साइलेंट इनविजिबल रिगिंग' पहले ही शुरू हो चुकी है.' टीएमसी का दावा है कि SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया से पहले ही नाम डिलीट किए जा रहे हैं.
टीएमसी ने क्या आरोप लगाए?
टीएमसी ने कई उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि 2002 की वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम गायब किए गए हैं. पार्टी के मुताबिक, कूचबिहार के नटाबाड़ी विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर 2 में 2002 में 717 मतदाता दर्ज थे, लेकिन वर्तमान ऑनलाइन लिस्ट में सिर्फ 140 नाम ही दिखाई दे रहे हैं. इसी तरह, माथाभांगा विधानसभा क्षेत्र के पचागढ़ गांव में बूथ नंबर 160 पर 2002 में 846 वोटर थे, जबकि अब बूथ नंबर 2/244 की लिस्ट 416 पर खत्म हो जाती है और बाकी के नाम पूरी तरह गायब हैं.
'बीएलओ के घरवालों तक के नाम गायब'
उत्तर 24 परगना जिले के अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र में हाबरा-2 ब्लॉक के गूमा-1 ग्राम पंचायत के बूथ नंबर 159 की 2002 वोटर लिस्ट में अब कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा. वहीं बूथ नंबर 61 की सूची में सीरियल नंबर 343 से 414 तक के नाम नहीं हैं. टीएमसी ने यह भी दावा किया कि अलीपुरद्वार के मजहरदाबरी इलाके में तो बीएलओ के पिता, माता और भाई तक के नाम भी मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं.
अनिर्बन सिन्हा रॉय