फर्रुखाबाद की पुलिस अधीक्षक (एसपी) आरती सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट में उस समय सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ा जब बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता को धमकाने और उनके वकील को गिरफ्तार करने का तथ्य सामने आया. जस्टिस जेजे मुनीर व जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ ने इस मामले को न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप मानते हुए नाराजगी व्यक्त की.
एसपी को टीम के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार के आग्रह पर सुनवाई के बाद, कोर्ट ने एसपी आरती सिंह को बुधवार तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने और अपनी पूरी टीम के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया. यह सख्त निर्देश प्रीति यादव की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया गया.
दरअसल, फर्रुखाबाद निवासी प्रीति यादव की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में पुलिस की गंभीर मनमानी उजागर हुई. प्रीति ने आरोप लगाया कि 8 सितंबर की रात पुलिस (थाना प्रभारी अनुराग मिश्रा, सीओ सहित) उनके घर में घुसी और परिवार के दो सदस्यों को हिरासत में ले लिया, जिन्हें लगभग एक सप्ताह तक अवैध रूप से रखा गया.
रिहाई से पहले, पुलिस ने प्रीति से जबरन यह लिखित बयान लिया कि वह पुलिस के विरुद्ध कोई शिकायत या याचिका दायर नहीं करेगी. पुलिस ने यही "जबरन लिया गया" बयान कोर्ट में पेश किया, जिस पर जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की पीठ ने कड़ा रुख अपनाया और एसपी को तलब कर लिया.
मंगलवार को कोर्ट में उपस्थित होने पर, प्रीति यादव ने पुष्टि की कि उन्होंने ही याचिका दायर की थी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिका वापस लेने के लिए उन पर दबाव बनाया गया था, क्योंकि पुलिस उनके पति को पकड़कर ले गई थी. कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की कार्रवाई के लिए अफसरों को तलब किया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने अवैध हिरासत और जबरन बयान के मामले में फर्रुखाबाद की एसपी आरती सिंह को कड़ी फटकार लगाई. याचिकाकर्ता प्रीति यादव ने एसपी की मौजूदगी में पुलिस उत्पीड़न की कहानी बताई. कोर्ट ने एसपी को बुधवार को भी उपस्थित रहने और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाया. फर्रुखाबाद की एसपी आरती सिंह पर अवैध हिरासत, उत्पीड़न और याचिका वापस लेने का दबाव बनाने के गंभीर आरोप लगे. बीते मंगलवार को सुनवाई के दौरान यह घटनाक्रम सामने आया.
यह मामला फर्रुखाबाद के कायमगंज थाना क्षेत्र से जुड़ा है. अदालत ने पुलिस की मनमानी को गंभीरता से लेते हुए एसपी को स्पष्टीकरण देने और बुधवार दोपहर तक कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया. सुनवाई न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर और संजीव कुमार की खंडपीठ कर रही है.
अवैध हिरासत का गंभीर आरोप
केस 8 सितंबर, 2025 का है. फर्रुखाबाद निवासी याची प्रीति यादव ने आरोप लगाया कि रात करीब 9 बजे थाना प्रभारी अनुराग मिश्रा, सीओ सहित चार-पांच पुलिसकर्मी उनके घर में घुस आए. पुलिस दो लोगों को हिरासत में ले गई और उन्हें एक सप्ताह तक अवैध रूप से रखा. रिहाई से पहले, पुलिस ने प्रीति से एक लिखित बयान लिया कि वह कोई शिकायत नहीं करेंगी और न ही कोई याचिका दाखिल करेंगी. पुलिस ने कोर्ट में इसी लिखित बयान को प्रस्तुत किया.
एसपी आरती सिंह से मांगा स्पष्टीकरण
याची प्रीति यादव ने मंगलवार को कोर्ट में शपथ पर अपना बयान दर्ज कराया और एसपी की उपस्थिति में ही पुलिस उत्पीड़न की कार्रवाई को झूठा बताया. उन्होंने कहा कि याचिका वापस लेने के लिए उन पर दबाव बनाया गया था. इस बयान पर कोर्ट ने गंभीर नाराजगी जताई. खंडपीठ ने एसपी आरती सिंह, क्षेत्राधिकार राजेश कुमार द्विवेदी और थाना प्रभारी कायमगंज अनुराग मिश्रा से सफाई मांगी, लेकिन वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.
राज्य सरकार को 24 घंटे की मोहलत
कोर्ट की नाराजगी को देखते हुए, सरकार की ओर से पेश हुए अपर महाधिवक्ता अमित कुमार सक्सेना ने याचिकाकर्ता के आरोपों पर सफाई देने के लिए 24 घंटे का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने फर्रुखाबाद एसपी आरती सिंह को बुधवार दोपहर 12 बजे तक प्रयागराज में ही रुकने और अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने का आदेश दिया है.
पंकज श्रीवास्तव