कथावाचक कांड: 'हमारी सरकार में कानून का राज, किसी को...', इटावा घटना पर बोले डिप्टी CM ब्रजेश पाठक

इटावा विवाद पर ब्रजेश पाठक ने कहा कि यूपी में कानून का राज है, किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं. उन्होंने हेमराज यादव के हनुमान जी पर दिए बयान की निंदा की और सपा पर हमला बोला कि इटावा की घटना PDA नहीं, परिवार डेवलपमेंट पार्टी की सच्चाई है. कानून अपना काम कर रहा है, सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी.

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डिप्टी CM ब्रजेश पाठक. (फाइल फोटो) डिप्टी CM ब्रजेश पाठक. (फाइल फोटो)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 28 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कथित तौर पर यादव बिरादरी के सहायक पुजारी के साथ हुए अमानवीय व्यवहार को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. इस प्रकरण में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार कानून व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और किसी को भी कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं है.

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'आजतक' द्वारा पूछे गए सवाल पर कि एक सहायक पुजारी की चोटी काटी गई, सिर मुंडवा दिया गया और महिलाओं से नाक रगड़वाई गई. इस पर ब्रजेश पाठक ने दो टूक कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज है. सरकार की मंशा स्पष्ट है कि कानून को किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने देंगे. इस घटना में कानून अपना कार्य कर रहा है और सरकार का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है.

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उन्होंने यह भी कहा कि हमने कई कथावाचकों के वीडियो देखे हैं, जिनमें भगवान हनुमान जी के प्रति आपत्तिजनक बातें कही गई हैं. खासकर हेमराज यादव द्वारा हनुमान जी के लिए की गई टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक है. मैं उस बयान को दोहराना भी नहीं चाहता. 

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जब उनसे पूछा गया कि क्या यादव या ओबीसी समुदाय से आने वाला कोई व्यक्ति पुजारी हो सकता है, तो डिप्टी सीएम ने स्पष्ट किया, सनातन धर्म में महर्षि वाल्मीकि और वेदव्यास जैसे महापुरुषों ने ग्रंथों की रचना की, जबकि वे ब्राह्मण नहीं थे. ब्राह्मण समाज कभी अपने महापुरुषों को लेकर अपमानजनक शब्दों का चयन नहीं करता.

PDA का मतलब- 'परिवार डेवलपमेंट पार्टी'

उन्होंने सपा पर हमला करते हुए कहा कि सपा के शासनकाल में उद्दंडता, हत्या, लूट जैसी घटनाएं बढ़ती हैं. इटावा की घटना में एक बार फिर वही पुराना दृश्य देखने को मिला. सपा का PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) मॉडल सिर्फ एक ढकोसला है. यह वास्तव में 'परिवार डेवलपमेंट पार्टी' है.

ब्रजेश पाठक ने अंत में कहा कि सभी कथावाचकों का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन यदि कोई धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है या समाज में विद्वेष फैलाने की कोशिश करता है, तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ऐसी घटनाओं का कोई स्थान न सनातन संस्कृति में है और न ही कानून के दायरे में.

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