उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा और यमुना के बढ़ते जलस्तर से शहर में बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं. इन नदियों के खतरे के निशान से ऊपर बहने के कारण पानी रिहायशी इलाकों और ऐतिहासिक स्थलों तक पहुंच गया है. शहर के कई इलाके जैसे दारागंज, रसूलाबाद, छोटा बघाड़ा और दशाश्वमेध घाट में हालात बेहद खराब हैं. बाढ़ सिर्फ उन लोगों को प्रभावित नहीं कर रही है जो वहां फंसे हुए हैं, बल्कि उन लोगों को भी प्रभावित कर रही है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं.
पानी में श्मशान घाट, सड़कों पर संस्कार
दारागंज का श्मशान घाट पूरी तरह से पानी में डूब गया है. ऐसे में लोग अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार के लिए सड़कों का इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां अंतिम संस्कार के लिए शवों की लंबी कतारें लगी हैं, जिससे परिवारों को कई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है. शवदाह करने वाले लोगों ने बताया कि एक बार में 8 से 9 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जगह की कमी के कारण अंतिम संस्कार के लिए लंबी कतार लगी हैं क्योंकि भीड़ बहुत ज्यादा है.
लकड़ी महंगी, इलेक्ट्रिक मशीन खराब
अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार दो मुख्य वजहों से हो रहा है. पहला, बाढ़ के कारण लकड़ी की कीमतों में भारी उछाल आया है. पहले जहां अंतिम संस्कार करीब 2,500 रुपये में होता था, वहीं अब इसका खर्च 5,000 रुपये तक पहुंच गया है. दूसरा कारण, दारागंज के मुख्य श्मशान घाट के सामने वाली इलेक्ट्रिक मशीन का खराब होना है. यह मशीन सोमवार शाम से खराब है, जिससे इंतजार और बढ़ गया है.
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निवासियों ने आजतक को बताया कि इलेक्ट्रिक श्मशान मशीन के रेट 450 रुपये हैं, जो बाढ़ के दिनों में सामान्य दाह संस्कार की दरों की तुलना में काफी कम है. लेकिन मशीन में खराबी की वजह से लोगों के पास इंतजार करने या सामान्य दाह संस्कार के लिए ज्यादा भुगतान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
आजतक ने जब विद्युत शवदाह गृह में मौजूद हेल्पर से बात की तो उन्होंने कहा कि मशीन बीती शाम से खराब है और उसके ठीक होने के बाद ही बाहर लगी भीड़ कम हो पाएगी.
NDRF ने मासूमों को बचाया
प्रयागराज का छोटा बघाड़ा इलाका भी बाढ़ की चपेट में है, जहां घर पानी में डूबे हुए हैं. NDRF की टीमें यहां लगातार बचाव कार्य में जुटी हैं. उन्होंने छत पर फंसे दो मासूम बच्चों, विशाल और अंकित को सुरक्षित बाहर निकाला है. बच्चों ने बताया कि वे कबूतरों को दाना डालने गए थे, लेकिन पानी बढ़ने और बारिश होने के कारण वहीं फंस गए थे. NDRF ने उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है.
चोरी के डर से घर नहीं छोड़ रहे लोग
छोटा बघाड़ा में कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो NDRF के आने के बाद भी अपने घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं. उन्हें डर है कि अगर वे घर छोड़कर चले जाएंगे तो चोरी हो जाएगी. उनका दावा है कि पहले भी यहां ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. इसलिए, वे अपने परिवार को सुरक्षित स्थानों पर भेज रहे हैं, लेकिन एक व्यक्ति घर की रखवाली के लिए घर पर ही रुका हुआ है.
ऐतिहासिक स्थल भी पानी में डूबे
बाढ़ ने प्रयागराज के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. रसूलाबाद घाट और दशाश्वमेध घाट पूरी तरह से पानी में डूबे हुए हैं, सिर्फ ऊपर लगे बोर्ड ही दिखाई दे रहे हैं. इसी तरह, ऐतिहासिक नागवासुकी मंदिर भी आधे से ज्यादा पानी में डूब गया है. महाकुंभ के दौरान जहां बड़े-बड़े अखाड़े लगते थे, वहां आज NDRF की नावें बचाव कार्य में जुटी हुई हैं.
समर्थ श्रीवास्तव