जिंदगी अपने साथी चुनती है, पर जब मौत भी साथी चुन ले तो अफसोसनाक कहानियां बन जाती हैं. दिल्ली बम ब्लास्ट में अमरोहा के दो परिचितों- लोकेश अग्रवाल और अशोक गुर्जर, की मौत ने ऐसी ही कहानी सामने ला दी है. एक साधारण सी ग्राहक-दुकानदार की पहचान, एक मुलाकात की इच्छा बनी और नियति उन्हें उसी जगह खींच लाई, जहां काल उनका इंतजार कर रहा था.
एक मुलाकात, दो जिंदगियां खत्म
यह दर्दनाक कहानी उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के हसनपुर कस्बे से जुड़ी है. 54 वर्षीय लोकेश अग्रवाल की कस्बे में खाद की दुकान थी, जबकि 34 वर्षीय अशोक गुर्जर दिल्ली ट्रांसपोर्ट कंपनी में बस कंडक्टर थे.
अशोक अपने खेत के लिए अक्सर लोकेश की दुकान से खाद लेने जाते थे. इसी दौरान दोनों में जान-पहचान हुई, और उन्होंने एक-दूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए. अशोक ने लोकेश से दिल्ली आने पर फोन करने को कहा था.
रिश्तेदार को देखने गए, मौत से मिले
बात आई-गई हो गई थी, लेकिन जब लोकेश अग्रवाल के एक रिश्तेदार दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हुए, तो लोकेश भी दिल्ली गए. इसी दौरान उनके मन में अशोक से मिलने की इच्छा जागी. लोकेश ने अशोक को फोन किया और दोनों ने लाल किले के आसपास मुलाकात करने का फैसला किया. नियति का क्रूर खेल देखिए, जहां दोनों दोस्त मिले, वहीं पर बम ब्लास्ट हो गया.
दोनों घरों में कोहराम, अविश्वास में लोग
धमाके के करीब होने के कारण दोनों, लोकेश और अशोक, काल के गाल में समा गए और उनकी मौत हो गई. देर रात दोनों के घरों पर हादसे की सूचना पहुंची तो कोहराम मच गया. परिजन रात में ही दिल्ली पहुंचे और सुबह दोनों के शव घर लाए गए.
हसनपुर कस्बे और गांव में हर किसी की आंखें नम हैं. हर कोई दोनों की कहानी सुनकर हैरान है- कैसे एक दुकानदार और ग्राहक का रिश्ता मौत का साथी बन गया. लोग बस देखकर समझना चाहते हैं कि क्या सच में मौत का खेल इतना अजीब होता है? दोनों परिवारों में मातम पसरा है और हर तरफ बस इसी बात की चर्चा है कि किसकी मौत किसके साथ लिखी थी.
बी एस आर्य