अपराध करने वाला अपराधी चाहे कितना भी चालाक हो, कितना भी छिप जाए, लेकिन एक न एक दिन कानून के शिकंजे में आ ही जाता है. तभी तो महाराष्ट्र के पालघर में एक युवक की हत्या करने वाला हत्यारा 24 साल बाद कानपुर के गांव से गिरफ्तार हो गया. 24 साल पहले उसने ऑटो का किराया ना देने पर एक सवारी की हत्या कर दी थी. खास बात यह है कि 24 साल बाद वह ऑटो चलाने के चक्कर में ही पुलिस की गिरफ्त में आया है. आइए जानते हैं पूरी कहानी...
कानपुर पुलिस के मुताबिक, जनवरी 2001 को महाराष्ट्र के पालघर में कानपुर के सेन पश्चिम पारा के रहने वाले ओमप्रकाश ने अपने साथी हारून के साथ मिलकर मुशर्रफ अली की हत्या की थी. मुशर्रफ से उसका किराये को लेकर विवाद हुआ था.
'कातिल' ओमप्रकाश का साथी हारून कन्नौज का रहने वाला था, जिसे पुलिस ने पकड़ लिया था, लेकिन ओमप्रकाश फरार हो गया था. हारून को ओमप्रकाश के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वह बस इतना जानता था कि ओमप्रकाश कानपुर का रहने वाला है.
उधर, महाराष्ट्र पुलिस ओमप्रकाश को तलाश करती रही. इस कड़ी में हारून की गिरफ्तारी के लिए एक बार महाराष्ट्र पुलिस कन्नौज स्थित उसके गांव भी पहुंची थी. जहां पता चला था कि ओमप्रकाश एक बार यहां आया था और उसने बताया था कि वह कानपुर के सेन पश्चिमी का रहने वाला है. इसके बाद पुलिस ने कानपुर में उसे खोजा, मगर उसका कुछ पता नहीं चला.
ऐसे में महाराष्ट्र पुलिस ने ओमप्रकाश की फोटो कानपुर पुलिस के थाना चौकी में चस्पा करवा दी. साथ ही पुलिस को बताया कि अगर वह मुंबई में ऑटो चलाता था तो इतने सालों बाद फिर कानपुर में भी ऑटो चलाना शुरू करेगा. इसलिए ऑटो वालों पर नजर रखिए.
कानपुर के एसीपी रजनीश कुमार के बताया कि बीते दिनों कानपुर में एक पुलिसकर्मी को ओमप्रकाश से मिलती-जुलती शक्ल का ऑटो चालक दिख गया. फिर तय किया गया कि चालान काटने के बहाने उसे थाने लेकर आया जाए. जब वह थाने आया तो पुलिस ने उसकी एक फोटो महाराष्ट्र पुलिस के पास भी भेज दी. जिसपर वहां की पुलिस ने बताया कि फोटो में दिख रहा शख्स ओमप्रकाश ही है. फिर उससे बातों ही बातों में पूछा गया कि क्या वह कभी महाराष्ट्र गया है तो उसने बता दिया कि हां वह गया है और वहां पर ऑटो चलाता था.
जब ओमप्रकाश से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. ओमप्रकाश ने 24 साल पहले किए गए कत्ल की सारी कहानी बता दी. फिलहाल, कानपुर पुलिस ने ओमप्रकाश को गिरफ्तार करने के बाद उसे महाराष्ट्र पुलिस को सौंप दिया है.
रंजय सिंह