'कन्यादान में सोना-चांदी दो या ना दो...तलवार-रिवॉल्वर जरूर दें', बागपत में क्षत्रिय महासभा की पंचायत का फरमान

बागपत में आयोजित केसरिया महापंचायत में क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष ने कहा कि कन्यादान में बेटी को सोना-चांदी या रुपये दो या ना दो, लेकिन पिस्तौल, रिवॉल्वर, कटार, तलवार दें. अगर ये महंगा हो तो कम-से-कम देसी कट्टा जरूर दें.

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क्षत्रिय महासभा की पंचायत में कहा गया है कि बेटियों को दहेज में तलवार-रिवॉल्वर दें. (Photo: ITG) क्षत्रिय महासभा की पंचायत में कहा गया है कि बेटियों को दहेज में तलवार-रिवॉल्वर दें. (Photo: ITG)

मनुदेव उपाध्याय

  • बागपत,
  • 27 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 8:13 AM IST

निक्की हत्याकांड के बाद समाज में दहेज को लेकर चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई है. इसी बीच बागपत के गौरीपुर मितली गांव में आयोजित ठाकुर समाज की केसरिया महापंचायत में अनोखा फरमान सुनाया गया है, जिसने समाज में नई बहस छेड़ दी है. महापंचायत में कहा गया है कि बेटियों को दहेज में पिस्तौल, रिवॉल्वर या देसी कट्टा जरूर दें. इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. 

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केसरिया महापंचायत में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष ठाकुर कुंवर अजय सिंह ने मंच से बोलते हुए कहा कि दहेज में दिया गया सोना-चांदी और पैसा बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकता. अगर बेटी आभूषण पहनकर बाजार जाएगी तो लुटेरे और अपराधी उसे निशाना बनाएंगे. ऐसे में सबसे जरूरी है कि बेटियों को आत्मरक्षा के लिए हथियार दिया जाए.

'बेटी को कन्यादान में दें रिवॉल्वर'

उन्होंने कहा, 'आज का वक्त ऐसा है कि बेटियों को अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी. इसलिए कन्यादान में बेटी को सोना-चांदी या रुपये दो या ना दो, लेकिन पिस्तौल, रिवॉल्वर, कटार, तलवार दें. अगर ये महंगा हो तो कम-से-कम देसी कट्टा जरूर दें.'

इस अनोखे ऐलान के बाद महापंचायत तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठीं. समाज के कई लोगों ने इस फैसले का पुरजोर समर्थन किया और कहा कि अब वक्त आ गया है कि बेटियों को सजने-संवरने के बजाय लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. ये घोषणा न केवल परंपराओं को चुनौती देती है, बल्कि समाज को एक नया संदेश भी देती है- बेटियां अब नाजुक नहीं, बल्कि दुर्गा हैं.

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वहीं, पंचायत में मौजूद लोगों ने इस फैसले को बेटियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया है. लोगों ने कहा कि महापंचायत का ये फरमान समाज में दहेज की प्रथा पर सवाल उठाता है और बेटियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में नया कदम है.

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