वाराणसी में गंगा का रौद्र रूप... नमो घाट डूबा, काशी विश्वनाथ मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंचा पानी, छत पर हो रहा अंतिम संस्कार

मौजूदा समय में वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से लगभग एक मीटर ऊपर है और 3 सेमी/घंटे की रफ्तार से बढ़ाव जारी है. गंगा की लहरें समुद्री लहरों की तरह 10-10 फीट तक उठ रही हैं.

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काशी में उफान पर गंगा (Photo- ITG) काशी में उफान पर गंगा (Photo- ITG)

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी ,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST

वाराणसी में गंगा खतरे के निशान को पार करने के बाद अब डराने लगी है. गलियों को पार करते हुए गंगा का पानी सड़क तक आ पहुंचा है और रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर चुका है. मौजूदा समय में वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से लगभग एक मीटर ऊपर है और 3 सेमी/घंटे की रफ्तार से बढ़ाव जारी है. गंगा की लहरें समुद्री लहरों की तरह बीच धारा में 10-10 फीट तक उठ रही हैं. प्रशासन की तरफ से लगातार बचाव कार्य और पेट्रोलिंग जारी है. जल पुलिस भी लगातार गश्त कर रही है. 

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गौरतलब है कि वाराणसी में गंगा किनारे का नजारा 'जल प्रलय' सरीखा लग रहा है. सभी पक्के घाटों को डुबोने के बाद गंगा का जल अब सबसे ऊंचाई पर अत्याधुनिक तरीके से बने नमो घाट को भी डुबो चुका है. जिसके चलते इस पसंदीदा घाट को आम लोगों के लिए पहली बार बंद कर दिया गया है. नमस्ते के बने हुए 4 स्ट्रक्चर में से तीन 15-25 फीट के छोटे स्ट्रक्चर को गंगा का पानी पूरी तरह से डुबोने पर अमादा है. 75 फीट वाले स्ट्रक्चर को तो आधा डुबो ही चुका है. 

इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर के द्वार तक गंगा का पानी पहुंच चुका है. महज कुछ ही सीढ़ी डूबने से बची हैं. इसके बाद विश्वनाथ धाम में गंगा के बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाएगा.

वहीं, बाढ़ के चलते महाश्मशान मणिकर्णिका घाट की छत पर तंग जगह पर ही शवदाह हो पा रहा है. यहां शवों को ले जाने के लिए शवयात्रियों को नाव के जरिये गंगा के पानी में उतरकर जाना पड़ रहा है.

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ठीक इसके आगे झुका हुआ रत्नेश्वर मंदिर का शिखर बमुश्किल ही दिखाई पड़ रहा है. इसके अलावा सभी 84 घाटों के साइनेज भी बड़ी मुश्किल से ही नजर आ रहें हैं. जल पुलिस दिनभर में कई-कई बार पेट्रोलिंग कर रही है ताकि कहीं कोई घटना न होने पाए. 

ये भी पढ़ें- उफान पर नदियां, घाट-मंदिर डूबे, घरों की पहली मंजिल तक पानी... देखें प्रयागराज में बाढ़ के 6 वीडियो

मालूम हो कि वाराणसी में 44 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. इसके कारण 1410 परिवारों को घर छोड़कर पलायन करना पड़ रहा है. 6244 किसानों की 1721 एकड़ फसल डूब चुकी है. इसी तरह शहर के 24 मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं और इन मोहल्लों में रहने वाले 6376 लोगों को भी अपना आशियाना छोड़ना पड़ा है. 

मौजूदा समय में गंगा खतरे के निशान से लगभग एक मीटर ऊपर बह रही है और अभी भी बढ़ाव 3 सेंटीमीटर/ घंटे की रफ्तार से जारी है. उधर, बचाव कार्य में जुटे यूपी-एमपी की जिम्मेदारी उठाने वाली 11 NDRF के DIG एमके शर्मा ने बताया कि 5-6 दिन पहले से ये संभावना जताई जा रही थी कि वाराणसी में पानी बढ़ेगा. इसलिए तैयारी पूर्व से ही की जा रही थी. इसी की वजह से स्थिति नियंत्रण में है. निचले सभी क्षेत्र जैसे- प्रयागराज, गाजीपुर और बलिया के बाढ़ प्रभावित लोगों को इवेक्युएट किया जा चुका है.

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उन्होंने बताया कि वरूणा के अलावा गंगा के भी सभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में उनकी टीमें तैनात हैं. मध्य प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और डैम से छोड़े जा रहे पानी के सवाल पर शर्मा ने बताया कि बीते दो दिनों से बारिश सामान्य हो गई है. अच्छी बात है कि यमुना के जलस्तर में गिरावट शुरू हो चुकी है. केन, बेतवा, सिंध और चंबल यमुना में मिलती है और यूपी में बाढ़ की स्थिति पैदा करती है.

यमुना के सभी स्टेशनों पर फॉलिंग दर्ज की गई है और वाराणसी में भी गंगा के जलस्तर के बढ़ाव में कमी आई है. इसलिए आशा है कि आज दोपहर के बाद हालात स्थिर होंगे. हालांकि, टीमें अलर्ट हैं. कही से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं आई है.  

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