उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के बाद सरयू और गंगा नदी उफान पर हैं. इससे लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. सरयू और गंगा नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण बलिया में लगभग 1.46 लाख लोगों के बेघर होने का खतरा है. जिले के 163 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं.
तुर्तीपार में शनिवार सुबह सरयू नदी खतरे के निशान 64.01 मीटर से 46 सेंटीमीटर ऊपर और चांदपुर में 61 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. गंगा नदी का जलस्तर गइघाट पर 59.66 मीटर था, जो खतरे के निशान से 2.05 मीटर ज्यादा है. दोनों नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी से बलिया सदर, बैरिया और बांसडीह तहसील के लोग प्रभावित हुए हैं.
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लगभग 37,000 लोग या तो विस्थापित हो चुके हैं या बाढ़ की वजह से रोजगार खो चुके हैं. राज्य सरकार ने लोगों को निकालने के लिए 142 नावों को तैनात किया है. बलिया के उप-जिलाधिकारी आलोक प्रताप सिंह ने शनिवार को PTI को बताया कि अब तक जिले में 30 मकान ढह चुके हैं. लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए 317 नावें लगाई गई हैं.
बलिया के जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बताया कि प्रशासन बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए पूरी तरह सक्रिय है. अब तक लगभग 1 लाख से अधिक खाने के पैकेट और 7500 राहत किट वितरित किए जा चुके हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा टीमें भी तैनात हैं. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने बताया है कि बाढ़ के कारण 81 स्कूल बंद हो गए हैं.
पशुओं के लिए भूसा और उपचार की व्यवस्था भी की गई है. बचाव कार्य के लिए एसडीआरएफ, फ्लड पीएसी और एनडीआरएफ की 30 सदस्यीय टीम डिप्टी कमांडेंट के नेतृत्व में तैनात है. एनडीआरएफ के पास 4 नावें भी उपलब्ध हैं. बाढ़ प्रभावित गांवों में बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण जेनरेटर की व्यवस्था की गई है. जिला आपदा नियंत्रण कक्ष 24×7 संचालित है, जहां अधिकारी और कर्मचारी बाढ़ संबंधी सूचनाओं, शिकायतों और सुझावों को प्राप्त कर प्रभावितों की मदद कर रहे हैं.
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