'मुझे नहीं पता ये लोग कहां से हैं', इटावा कथावाचक कांड वाले गांव में हुए बवाल के बाद गगन यादव ने किया रिएक्ट, गिरफ्तार युवकों के बारे में कही ये बात

Etawah Clash: गगन यादव ने 'एक्स' पर लिखा कि कल इटावा में हालात बिगड़ने के बाद कुछ युवाओं को प्रशासन ने मौके पर गिरफ्तार कर लिया, मुझे नहीं पता की ये कहां से हैं, इनकी गलती क्या है, लेकिन मैं इतना समझता हूं की समाज के सम्मान में ये सब मैदान में थे

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इटावा बवाल पर गगन यादव का रिएक्शन इटावा बवाल पर गगन यादव का रिएक्शन

aajtak.in

  • इटावा ,
  • 27 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST

इटावा के दांदरपुर गांव में बवाल करने वालों के खिलाफ पुलिस ने एक्शन लिया है. करीब दो दर्जन बवालियों को गिरफ्तार किया गया है. कई गाड़ियों को भी सीज किया गया है. आरोप है कि गगन यादव नाम के शख्स द्वारा संचालित संगठन के लोगों ने पुलिस पर पथराव किया था. अब इसको लेकर गगन यादव ने 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है. 

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गगन यादव ने 'एक्स' पर लिखा कि कल इटावा में हालात बिगड़ने के बाद कुछ युवाओं को प्रशासन ने मौके पर गिरफ्तार कर लिया, मुझे नहीं पता की ये कहां से हैं, इनकी गलती क्या है, लेकिन मैं इतना समझता हूं की समाज के सम्मान में ये सब मैदान में थे. ऐसे ही युवा साथी तब भी सड़को पर होते हैं जब देश में कोई बड़ा आंदोलन होता है. ऐसे ही युवाओं का जोश चुनाव की रैलियों की खूबसूरती को भी बढ़ाता है, लेकिन ऐसे ही युवा हैं जो बाद में मुकदमों का सामना करते हैं और अंत में सभी नेताओं द्वारा दुख की घड़ी में नजरअंदाज़ कर दिए जाते हैं. इनकी जिम्मेदारी कोई नहीं लेता. 

यह भी पढ़ें: 'कथावाचक के सम्मान में, आ रहे हैं मैदान में', कौन है गगन यादव जिसके कहने पर इटावा के गांव में उमड़ी भीड़ ने मचाया उत्पात?

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बकौल गगन यादव- अगर आगरा में उच्च अधिकारियों ने मुझे नज़रबंद ना किया होता होता तो मैं इटावा पहुंचता और शायद ऐसी घटना ना होती. पंचायत में सबसे पहले इनका मार्गदर्शन किया जाता, यह बताकर कि 'जरूरी नहीं हर लड़ाई लाठी डंडों से जीती जाए, कुछ लड़ाइयां मोहब्बत से भी जीत ली जाती हैं.'

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गगन यादव ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि इन युवाओं को देखते हुए आज मुझे दुख हो रहा हैं, लेकिन मैं इनका भविष्य ख़राब नहीं होने दूंगा, चाहे इनको छुड़वाने के लिए मुझे स्वयं की गिरफ़्तारी क्यों न देनी हो. मैं यह भी चाहता हूं कि देश में जो जातीय हिंसा पैदा हुई है, वो अब समाप्त हो जाए, नहीं तो हम मान-सम्मान के चक्कर में राजनीति का शिकार हो जाएंगे. फिलहाल, उत्तरप्रदेश शासन-प्रशासन से मैं इन युवाओं को जेल से छोड़ने की गुजारिश करता हूं. इसकी कोई भी क़ीमत चुकाने के लिए तैयार हूं. मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो दंगे भड़काए/करवाए, ना मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो बुरे वक़्त में किसी को छोड़ कर आराम फ़रमाएं. 

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