ई-रिक्शा चालक का आखिरी सफर! दिल्ली ब्लास्ट में मेरठ के मोहसिन की मौत; सवारी लेकर जा रहा था, तभी हो गया धमाका

दिल्ली ब्लास्ट में घायल हुए मेरठ निवासी ई-रिक्शा चालक मोहसिन (35) की मौत हो गई. वह लोहिया नगर के न्यू इस्लामनगर का रहने वाला था और दो साल पहले दिल्ली शिफ्ट हुआ था. परिवार का गुजारा रोज के ₹500-₹600 की कमाई से होता था. लाल किले के पास ब्लास्ट के समय सवारी ले जाते हुए पास खड़ी कार में हुए धमाके से मोहसिन की दर्दनाक मृत्यु हो गई.

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दिल्ली धमाके में मेरठ के मोहसिन की मौत (Photo- ITG) दिल्ली धमाके में मेरठ के मोहसिन की मौत (Photo- ITG)

उस्मान चौधरी

  • मेरठ ,
  • 11 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

दिल्ली ब्लास्ट में घायल हुए यूपी के मेरठ निवासी मोहसिन (35) की मौत हो गई. वह अपने बच्चों और बीवी के साथ राजधानी में रहता था और ई-रिक्शा चलाकर जीवन यापन कर रहा था. ब्लास्ट में मरने के बाद परिवार में कोहराम मच गया है. परिजनों के मुताबिक, दो साल पहले ही वह मेरठ से दिल्ली में शिफ्ट हुआ था. 

बता दें कि मोहसिन मेरठ के लोहिया नगर थाने के न्यू इस्लामनगर का रहने वाला था. वह दिल्ली में अपना घर-परिवार चलाने के लिए ई-रिक्शा चालक का काम करता था. मोहसिन दिन के दिन ₹500 ₹600 कमा कर गुजर बसर करता था. लेकिन बीती शाम लाल किले के पास हुए ब्लास्ट में उसकी जान चली गई.  

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बताया जा रहा है कि ब्लास्ट के समय मोहसिन सवारी को लेकर जा रहा था. तभी जोरदार ब्लास्ट हो गया. इस धमाके की चपेट में आने से मोहसिन की दर्दनाक मृत्यु हो गई. जैसे ही इसकी सूचना परिवार को मिली तो घर में चीख-पुकार मच गई. 

मोहसिन की शादी करीब 10 साल पहले हुई थी. मोहसिन के पांच और भाई हैं. सभी मजदूरी का काम करते हैं और रोज की दिहाड़ी से अपने घर का गुजर बसर करते हैं. करीब 2 साल पहले मोहसिन मेरठ से दिल्ली अपने कामकाज के लिए आया था. वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दिल्ली में ही रह रहा था.  

उधर, मोहसिन की पत्नी का परिवार उसे दिल्ली में ही दफनाना चाहता है जबकि मोहसिन के पिता अपने गांव के श्मशान में अंतिम विदाई देना चाहते हैं. इसको लेकर दोनों परिवार के बीच विवाद हो गया. 

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मोहसिन के पिता रफीक पेशे से हैंडलूम की फैक्ट्री में काम करते हैं. रफीक के 11 बच्चे है, जिसमें 6 बच्चे और 5 बेटियां हैं. परिवार मेरठ में किराए के मकान में रहता है. पिता और परिवार का कहना है कि सरकार मदद करे. उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.  

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