सीएम योगी की बड़ी बैठक, सभी मंत्री और अधिकारियों को 15 मिनट पहले पहुंचने का आदेश

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ आज दोपहर एक अहम बैठक करेंगे, जिसमें सभी मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे. खरमास के बाद संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हैं. ऐसे में यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इसमें सभी को 15 मिनट पहले पहुंचने को कहा गया है. बैठक में विकास योजनाओं, वित्तीय स्वीकृतियों, शिलान्यास और उद्घाटन प्रस्तावों की समीक्षा होगी.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज एक बड़ी बैठक लेने जा रहे हैं (Photo: PTI) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज एक बड़ी बैठक लेने जा रहे हैं (Photo: PTI)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 16 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

यूपी की राजनीति और प्रशासनिक हलचल के बीच आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बड़ी और अहम बैठक करने जा रहे हैं. यह बैठक सिर्फ औपचारिक समीक्षा तक सीमित नहीं मानी जा रही, बल्कि इसे आने वाले दिनों की सरकारी प्राथमिकताओं और कार्यशैली का संकेतक भी माना जा रहा है. दोपहर 3:30 बजे शुरू होने वाली इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे. सभी को 15 मिनट पहले पहुंचने का आदेश जारी किया गया है.

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खुद आना होगा, प्रतिनिधि से नहीं चलेगा काम 

इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेश सरकार के सभी मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री मौजूद रहेंगे. इसके साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी पूरी ताकत झोंकी जा रही है. मुख्य सचिव, सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागीय सचिवों को बैठक में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि बैठक में कोई प्रतिनिधि नहीं भेजा जाएगा, सभी अधिकारी स्वयं उपस्थित रहेंगे. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पूरी तैयारी के साथ बैठक में आएं. प्रत्येक विभाग को अपनी प्रगति रिपोर्ट, लंबित प्रस्तावों की स्थिति और आने वाले समय की कार्ययोजना के साथ प्रस्तुत होने को कहा गया है. बैठक शुरू होने से कम से कम 15 मिनट पहले सभी को पहुंचना अनिवार्य किया गया है, ताकि समय पर और व्यवस्थित तरीके से बैठक शुरू की जा सके.

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विकास योजनाओं पर फोकस

बैठक का मुख्य फोकस प्रदेश की विकास योजनाओं की समीक्षा पर रहेगा. जिन योजनाओं को लेकर समयसीमा तय की गई थी, उनकी वर्तमान स्थिति पर मुख्यमंत्री खुद नजर डालेंगे. इसके साथ ही वित्तीय स्वीकृतियों से जुड़े प्रस्ताव, शिलान्यास और उद्घाटन के लंबित मामलों पर भी विस्तार से चर्चा होने की संभावना है. मुख्यमंत्री यह जानना चाहते हैं कि किन परियोजनाओं में देरी हो रही है और उसके पीछे क्या कारण हैं.

एक्शन मोड में सरकार 

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी उन योजनाओं पर विशेष ध्यान देंगे, जिनका सीधा असर आम जनता से जुड़ा है. सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास से संबंधित परियोजनाओं की प्रगति को लेकर सख्त समीक्षा की जा सकती है. जिन विभागों का काम संतोषजनक नहीं पाया जाएगा, उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा जा सकता है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि संगठनात्मक बदलाव के बाद अब सरकार भी पूरी तरह एक्शन मोड में नजर आ रही है. हाल ही में पार्टी संगठन में हुए फेरबदल के बाद यह पहली बड़ी बैठक मानी जा रही है, जिसमें सरकार की कार्यप्रणाली को नई गति देने की तैयारी दिख रही है. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री इस बैठक के जरिए यह संदेश देना चाहते हैं कि अब लापरवाही और ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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नए प्रस्ताव पर भी चर्चा 

बैठक के दौरान बजट प्रावधानों और वित्तीय स्वीकृतियों पर भी खास चर्चा होगी. मुख्यमंत्री यह जानना चाहेंगे कि जिन योजनाओं के लिए बजट जारी किया गया है, उसका उपयोग किस स्तर तक हुआ है. अनावश्यक देरी या धन के उपयोग में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित विभागों को निर्देश दिए जा सकते हैं. इसके अलावा नई योजनाओं के प्रस्तावों पर भी मंथन संभव है.

संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से भी जुड़ाव

राजनीतिक हलकों में इस बैठक को आने वाले संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से भी जोड़कर देखा जा रहा है. खरमास के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हैं और माना जा रहा है कि सरकार और संगठन, दोनों स्तर पर संतुलन साधने की कोशिश की जा सकती है. संगठन में बदलाव के बाद सरकार में भी नए चेहरों को जगह मिलने की अटकलें हैं. ऐसे में यह बैठक सरकार के भीतर कामकाज का आकलन करने का एक अवसर भी हो सकती है. सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी संगठनात्मक बदलाव के बाद जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की दिशा में भी आगे बढ़ सकती है. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले समय में सरकार के स्तर पर भी संतुलन बनाने की कोशिश की जाएगी, ताकि राजनीतिक और सामाजिक समीकरण मजबूत किए जा सकें. इस बैठक से यह भी साफ हो सकता है कि सरकार किन क्षेत्रों को अगले कुछ महीनों में प्राथमिकता देने जा रही है. लोकहित से जुड़े मुद्दों पर तेज फैसले, लंबित परियोजनाओं को गति और अधिकारियों की जवाबदेही तय करना इस बैठक का प्रमुख उद्देश्य माना जा रहा है.

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किन विभागों पर होगी सख्ती 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस बैठक को सिर्फ एक नियमित समीक्षा बैठक नहीं, बल्कि प्रशासनिक सख्ती और राजनीतिक संकेतों से जोड़कर देखा जा रहा है. यह बैठक तय करेगी कि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश सरकार किस रफ्तार और किस दिशा में आगे बढ़ेगी. सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि मुख्यमंत्री किन विभागों को लेकर सख्त रुख अपनाते हैं और किन योजनाओं को नई गति देने के निर्देश देते हैं.

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