बृजभूषण परिवार की डबल मुलाकात! पिता के बाद अब करण और प्रतीक भी CM योगी से मिले, सियासी चर्चाएं गर्म

बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के दोनों बेटे - कैसरगंज से सांसद करण भूषण सिंह और गोंडा से विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. ये मुलाकात तब हुई जब चार दिन पहले खुद बृजभूषण सिंह भी सीएम योगी से मिल चुके हैं.

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बृजभूषण शरण सिंह के बेटों से सीएम योगी की मुलाकात (Photo: ITG) बृजभूषण शरण सिंह के बेटों से सीएम योगी की मुलाकात (Photo: ITG)

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 27 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 9:46 PM IST

उत्तर प्रदेश में अगला साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इससे पहले प्रदेश की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बाद उनके दोनों बेटों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. 

राजधानी लखनऊ में कैसरगंज सांसद करण भूषण सिंह और गोंडा सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात की है. इसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं. यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब चार दिन पहले ही बृजभूषण शरण सिंह स्वयं सीएम योगी से मिले थे. लगातार हो रही इन मुलाकातों को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हैं.

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लोकसभा चुनावों के बाद से ही बृजभूषण सिंह और उनके परिवार की राजनीतिक सक्रियता को लेकर चर्चाएं हो रही थीं. अब इन मुलाकातों को उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के भीतर समीकरण तय करेगी.

यह मुख्यमंत्री और पार्टी का निर्णय होता है: बृजभूषण

कुछ दिन पहले जब प्रतीक भूषण सिंह को मंत्री बनाये जाने को लेकर सवाल किया गया, तो बृजभूषण शरण सिंह ने स्पष्ट कहा कि इस प्रकार के फैसले मुख्यमंत्री और पार्टी के निर्णय के तहत होते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मंत्री पद के लिए चुनाव या नियुक्ति पार्टी की नीतियों और नेतृत्व की प्राथमिकताओं के अनुसार तय होती है, न कि किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत इच्छा या केवल जनता की पसंद के आधार पर.

यह भी पढ़ें: बृजभूषण-CM योगी की सियासी केमिस्ट्री से 'ठाकुर पॉलिटिक्स' को मिलेगी धार, यूपी में कितना बदलेगा समीकरण?

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बृजभूषण शरण सिंह ने यह भी कहा कि कुछ नेता ऐसे होते हैं जिन्हें जनता देखना पसंद नहीं करती, फिर भी वे मंत्री बन जाते हैं. उनका कहना था कि यदि इन्हें किसी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना पड़े, तो वे 5000 वोट भी नहीं जुटा पाएंगे. यह बात इस ओर इशारा करती है कि कभी-कभी राजनीतिक शक्तियों और भाग्य का भी मंत्री पद पर पहुंचने में बड़ा रोल होता है.

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