उत्तर प्रदेश के बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी का मेला का आयोजन इस बार नहीं होगा. बहराइच जिला प्रशासन ने दरगाह पर एक माह तक चलने वाले जेठ मेले की अनुमति की मांग खारिज कर दी है. दरगाह की प्रबंध समिति ने 15 मई से 15 जून तक मेले के आयोजन की अनुमति मांगी थी जिसे नामंजूर कर दिया गया है.
कानून व्यवस्था की आशंका के चलते निर्णय
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अल्टीमेटम और पहलगाम की आतंकी घटना को देखते हुए कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताई गई. इसी के मद्देनजर बहराइच जिला प्रशासन ने मेले के आयोजन को इस समय अनुचित माना है.
प्रबंध समिति की तारीखों को भी प्रशासन ने नकारा
सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह की प्रबंध समिति ने आगामी जेठ मेले के लिए 15 मई से 15 जून तक की तारीख तय की थी, जिसे जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी.
स्थानीय अधिकारियों की राय के बाद अनुमति खारिज
सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर और पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर पहुप सिंह ने बताया कि संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक और पहलगाम की आतंकी घटना के बाद कानून व्यवस्था पर खतरा उत्पन्न हो सकता है. इसी कारण से प्रबंध समिति द्वारा मांगी गई अनुमति नामंजूर कर दी गई है.
क्या कहती हैं सिटी मजिस्ट्रेट?
सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने बताया कि 15 अप्रैल 2025 को दरगाह समिति द्वारा जिलाधिकारी की अध्यक्षता में वार्षिक जेठ मेले की बैठक कराए जाने हेतु पत्र प्रस्तुत किया गया था. संबंधित अधिकारियों से आख्या मांगी गई, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि कानून व्यवस्था की दृष्टि से यह उपयुक्त समय नहीं है. इसके आधार पर संस्तुति नहीं की गई और दरगाह प्रबंध समिति को इस बारे में सूचित कर दिया गया.
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क्या कहते हैं बहराइच के सीओ सिटी?
सीओ सिटी पहुप सिंह ने बताया कि 15 अप्रैल 2025 को अनुमति के लिए पत्र भेजा गया था. उन्होंने कहा कि हालिया घटनाओं और वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है. पहलगाम की घटना के विरोध में कैंडल मार्च और प्रदर्शन किए जा रहे हैं. कई संगठनों की भागीदारी के कारण जनपद में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है. चार से पांच लाख श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ को देखते हुए यह पाया गया कि मेले की अनुमति देना उचित नहीं होगा. इसी आधार पर सिटी मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट भेजी गई, जिसके बाद अनुमति नहीं दी गई.
श्रद्धालुओं में निराशा संभव
मेले की अनुमति खारिज होने से इस बार लाखों श्रद्धालुओं को मायूस होना पड़ेगा. दरगाह पर हर साल चादर पोशी और जियारत के लिए लाखों लोग आते हैं जिनमें पूर्वांचल क्षेत्र के हिंदू श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या होती है. सबसे बड़ा आकर्षण गाजी मियां की बिना दूल्हे की बारात होती है जिसमें श्रद्धालु मौसमी फल, मेवे और वस्त्र लेकर आते हैं.
हिंदू संगठनों ने भी उठाई थी आपत्ति
पिछले दिनों सम्भल जिले में गाजी मियां के नाम पर लगने वाले नेजा मेले की अनुमति खारिज किए जाने के बाद बहराइच में भी जेठ मेले पर रोक की मांग तेज हो गई थी. विश्व हिंदू परिषद समेत कई संगठनों ने प्रशासन से इस मेले पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.
सीएम योगी के बयान के बाद बढ़ा विवाद
20 मार्च को मिहीपुरवा तहसील के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सालार मसूद गाजी को आक्रांता बताते हुए तीखी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि आक्रांताओं का महिमामंडन देशद्रोह की नींव मजबूत करता है. इस बयान के बाद मेले को लेकर संशय और बढ़ गया था.
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आर्थिक दृष्टि से भी बड़ा झटका
बहराइच का जेठ मेला विश्व स्तरीय पहचान रखता है और करोड़ों रुपये की आय देता है. हर साल दस लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना होती है. मेले में स्थानीय और बाहरी दुकानदार बड़ी संख्या में भाग लेते हैं. मेले की अनुमति न मिलने से उन्हें भी आर्थिक झटका लग सकता है.
राम बरन चौधरी / आशीष श्रीवास्तव