उत्तर प्रदेश में सरकारी भर्ती से जुड़ा एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. आगरा के शाहगंज क्षेत्र का रहने वाला कथित अर्पित सिंह पुत्र अनिल कुमार सिंह के नाम पर अलग-अलग जिलों में अलग-अलग आधार नंबर प्रस्तुत कर अलग-अलग लोगों पर नौकरी करने का आरोप है. हालांकि इसमें नाम अर्पित सिंह का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन कई अन्य दूसरे लोग भी नौकरी कर रहे हैं. आगरा के रहने वाली अर्पित सिंह भी नौकरी में है. इस खुलासे के बाद बलरामपुर, फर्रुखाबाद, रामपुर, बांदा, अमरोहा और शामली पुलिस ने उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है. अर्पित के पिता अनिल कुमार सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा कि मेरे बेटे की पहली नौकरी 2016 में जिला हाथरस में लगी थी. उसने गाजियाबाद से डिप्लोमा किया था. इसके बाद भर्ती आई तो अप्लाई करने के बाद नौकरी लग गई. पिता के कहा कि मुझे इस फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं थी, मुझे अखबार में खबर छपने के बाद जानकारी हुई. पिता का कहना है कि हम इसकी निष्पक्ष जांच चाहते हैं.
एक ही नाम, पिता का नाम और पता
मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपियों ने हर जगह नाम, पिता का नाम और पता एक जैसा रखा, लेकिन अलग-अलग जिलों में अलग-अलग आधार नंबर पेश किए. इसी गड़बड़ी ने उसके खेल का पर्दाफाश कर दिया.
अमरोहा और शामली में मामला
अमरोहा में कथित अर्पित सिंह ने खुद को नगला खुबानी, कुरावली, मैनपुरी का निवासी बताकर आधार संख्या 339807337433 प्रस्तुत किया. वहीं शामली में उसके खिलाफ आगरा निवासी होने के आधार पर मामला दर्ज किया गया, हालांकि उसका आधार नंबर अप्रमाणित पाया गया.
बलरामपुर और फर्रुखाबाद में दर्ज केस
बलरामपुर में आरोपी ने आधार संख्या 525449162718 का उपयोग किया और खुद को शाहगंज, आगरा का निवासी बताया. इसी तरह फर्रुखाबाद में उसने आधार संख्या 500807799459 प्रस्तुत किया और वहीं का पता दिया.
रामपुर और बांदा में भी हुआ फर्जीवाड़ा
रामपुर जिले में अर्पित सिंह ने आधार संख्या 8970277715487 पेश किया. वहीं बांदा में उसके खिलाफ आधार संख्या 496822158342 के आधार पर मामला दर्ज हुआ. हर जगह आरोपी ने अपना नाम, पिता का नाम और पता एक ही रखा.
छह जिलों में दर्ज हुए इन मामलों के बाद पुलिस ने आरोपी के नेटवर्क और उसके काम करने के तरीके की गहन जांच शुरू कर दी है. यह साफ हो गया है कि आरोपी लंबे समय से सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर सरकारी नौकरी और सुविधाएं ले रहे थे.
यह मामला सरकारी भर्ती और पहचान सत्यापन प्रक्रिया की गंभीर खामियों को उजागर करता है. अब सवाल उठ रहे हैं कि कैसे लोग छह जिलों में अलग-अलग आधार नंबर के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करता रहा और इतने वर्षों तक किसी को भनक तक नहीं लगी.
अरविंद शर्मा