यूपी: 21 साल तक चला केस, फिर भी प्राधिकरण ने नहीं दी जमीन, अब हाईकोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना

आवंटित प्लॉट का कब्जा न सौंपने और 21 सालों तक मुकद्दमेबाजी में उलझाकर परेशान करने पर कानपुर विकास प्राधिकरण पर पांच लाख रुपये हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही कोर्ट ने केडीए को निर्देश दिया है कि एक हफ्ते में हर्जाना राशि समिति को बैंक ड्राफ्ट के जरिए सौंपी जाए.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

पंकज श्रीवास्तव

  • प्रयागराज,
  • 30 मई 2023,
  • अपडेटेड 5:24 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाहर विद्या समिति के नाम आवंटित प्लॉट का कब्जा न सौंपने और 21 सालों तक मुकद्दमेबाजी में उलझाकर परेशान करने पर कानपुर विकास प्राधिकरण पर पांच लाख रुपये हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही कोर्ट ने केडीए को निर्देश दिया है कि एक हफ्ते में हर्जाना राशि समिति को बैंक ड्राफ्ट के जरिए सौंपी जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कानपुर विकास प्राधिकरण की तरफ से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

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बता दें कि याची प्राधिकरण ने विपक्षी जवाहर विद्या समिति के नाम जूही कालोनी कानपुर नगर में 19 जनवरी 1984 को प्लॉट संख्या 70 आवंटित किया था. 99 साल की लीज दी गई, किंतु कब्जा नहीं सौंपा गया. समिति ने जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम में शिकायत की. फोरम ने वादी शिकायतकर्ता को बकाया मय ब्याज को एक माह में जमा करने का आदेश दिया था और कहा था कि इसके दो माह में लीज पंजीकृत की जाय. 

इस आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य फोरम में अपील दाखिल की, जो खारिज हो गई. इसे राष्ट्रीय फोरम में पुनरीक्षण में चुनौती दी. वह भी खारिज हो गई. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. वह भी खारिज कर दी गई. इसके बाद भी प्राधिकरण ने समिति को कब्जा नहीं दिया गया और कहा कि स्थानीय लोग उस जमीन को पार्क के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं तो जिला फोरम में निष्पादन वाद दायर किया गया जो लंबित है.

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इधर, प्राधिकरण ने समिति का आवंटन निरस्त करने का प्रस्ताव किया और कहा कि नौ फीसदी ब्याज सहित जमा पैसा वापस करेंगे. समिति ने याचिका में चुनौती दी तो प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में कहा जमीन पार्क घोषित हो गई है. समिति को दूसरी जगह जमीन देंगे. इसका भी प्राधिकरण ने पालन नहीं किया. जिस पर जिला फोरम ने धारा 72 मे प्राधिकरण से 10 दिन में सफाई मांगी थी.

इस धारा में एक माह से एक साल की सजा व 25 हजार से एक लाख तक जुर्माने की सजा हो सकती है, जिसे प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पिछले 21 साल से याची विपक्षी समिति को परेशान कर रहा है और पट्टे के बावजूद प्लाट पर कब्जा नहीं दिया. 

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