लश्कर की फंडिंग से चल रहा था आगरा का धर्मांतरण नेटवर्क... ISIS स्टाइल में लड़कियों का ब्रेनवॉश कर रचाई जा रही थी साजिश

आगरा में पकड़े गए धर्मांतरण गिरोह की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जांच-पड़ताल में सामने आया है कि यह गैंग लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था, जो आईएसआईएस के पैटर्न पर काम कर रहा था. विदेशों से मिलने वाली फंडिंग के जरिए भारत में लव जिहाद और ब्रेनवॉश कर लड़कियों को कट्टरता की ओर धकेला जा रहा था.

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आगरा में पकड़ा गया धर्मांतरण नेटवर्क. (Photo: Screengrab) आगरा में पकड़ा गया धर्मांतरण नेटवर्क. (Photo: Screengrab)

संतोष शर्मा

  • आगरा,
  • 20 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:20 PM IST

उत्तर प्रदेश के आगरा में सामने आए धर्मांतरण गैंग की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. इस गैंग का संबंध आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से था और इसका संचालन इंटरनेशनल फंडिंग से हो रहा था. जांच एजेंसियों के मुताबिक, लश्कर से जुड़ी फंडिंग को यूएई, कनाडा, लंदन और अमेरिका के रूट से डायवर्ट कर भारत भेजा जाता था. इसी पैसे से देशभर में धर्मांतरण और लड़कियों का ब्रेनवाश करने का नेटवर्क खड़ा किया गया था.

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गैंग की फाइनेंस गोवा की रहने वाली आयशा उर्फ एसबी कृष्णा थी, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आयशा विदेश से आने वाली फंडिंग को देशभर में बांटने का काम करती थी. जांच में सामने आया है कि कनाडा में बैठा सैयद दाउद अहमद फंडिंग को डायरेक्ट भारत में आयशा के खातों में भेजता था. आयशा का पति शेखर राय उर्फ हसन अली कोलकाता में बैठकर काम करता था, वह गैंग का लीगल एडवाइजर था. वह भी अरेस्ट हो चुका है. वह धर्मांतरण से जुड़े कानूनी दस्तावेज तैयार करवाने और कागजी कार्रवाई पूरी करने का जिम्मा संभालता था.

यह भी पढ़ें: आगरा में धर्मांतरण के बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़, 6 राज्यों से जुड़े नेटवर्क का पर्दाफाश, ISIS-ISI कनेक्शन की भी जांच

इस नेटवर्क का सबसे खतरनाक चेहरा था अब्दुल रहमान कुरैशी, जो आगरा का रहने वाला है. कुरैशी यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया के जरिए नाबालिग लड़कियों का ब्रेनवाश करता था. इस्लामिक शिक्षा के नाम पर वह लड़कियों को कट्टरता की ओर ले जाता और फिर जिहादी विचारधारा से जोड़ता था. इसी गिरोह में कोलकाता से पकड़ा गया ओसामा भी अहम भूमिका निभाता था. दोनों मिलकर लड़कियों को मानसिक रूप से पूरी तरह तोड़ते और उनके परिजनों से दूरी बनाने के लिए उकसाते थे.

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दिल्ली से गिरफ्तार किया गया मुस्तफा उर्फ मनोज इस नेटवर्क का लॉजिस्टिक मैनेजर था. वह लड़कियों के लिए फर्जी नाम-पते पर प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड का इंतजाम करता था, ताकि उनका लोकेशन ट्रेस न हो सके. 

ब्रेनवाश की गई लड़कियों को पहले दिल्ली लाया जाता था और फिर बस के जरिए अगले ठिकानों तक पहुंचाया जाता था. ट्रेन का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया जाता था, क्योंकि उसमें लोकेशन ट्रेस होने का खतरा रहता था. दिल्ली पहुंचने के बाद लड़कियों को उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भेज दिया जाता था. पूरी गैंग का कामकाज आईएसआईएस के पैटर्न पर संचालित हो रहा था. एजेंसियों का दावा है कि इस नेटवर्क के जरिए देशभर में लव जिहाद और धर्मांतरण का जाल फैलाया गया. जांच एजेंसियां अब इस नेटवर्क के हर लिंक को खंगालने में जुटी हैं.

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