पहली बार Metro से पहुंचा लिवर, वक्त पर बच गई जिंदगी, बेंगलुरु मेट्रो बनी Lifeline

शहर के इतिहास में पहली बार, एक लीवर को तत्काल प्रत्यारोपण (Transplant) के लिए बेंगलुरु के नम्मा मेट्रो के माध्यम से ले जाया गया. यह सब शहर के ट्रैफिक से बचने के लिए किया गया.

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यह बेंगलुरु की पहली घटना है जब किसी मेडिकल इमरजेंसी के लिए मेट्रो का इस्तेमाल हुआ. (Photo: X /@WF_Watcher) यह बेंगलुरु की पहली घटना है जब किसी मेडिकल इमरजेंसी के लिए मेट्रो का इस्तेमाल हुआ. (Photo: X /@WF_Watcher)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST

बेंगलुरु की नम्मा मेट्रो इस बार सिर्फ सवारी नहीं, जिंदगी बचाने के भी काम आयी. शहर में पहली बार, एक बेहद ज़रूरी लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मेट्रो का इस्तेमाल किया गया. मामला हेपेटाइटिस से जूझ रहे एक मरीज का है, जिसे लिवर ट्रांसप्लांट की सख्त ज़रूरत थी. लिवर एक 24 वर्षीय एक्सीडेंट पीड़ित द्वारा दान किया गया था, जिसे व्हाइटफील्ड से स्पर्श अस्पताल (RR नगर) तक ले जाना था. बेंगलुरु की ट्रैफिक को चकमा देने के लिए टीम ने नम्मा मेट्रो का सहारा लिया और 31 किलोमीटर की दूरी, 30 मेट्रो स्टेशनों को पार करते हुए लिवर को सिर्फ 55 मिनट में अस्पताल पहुंचा दिया गया.

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पहली बार मेट्रो से पहुंचा लिवर
लिवर ट्रांसप्लांट का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल क्लिप में देख सकते हैं कि मेट्रो के आखिरी डिब्बे से एक टीम उतरती है और ऑर्गन कंटेनर लेकर तेज़ी से बाहर निकलती है. इस रेस को सफल बनाने के लिए मेट्रो के दोनों सिरों पर 'ग्रीन कॉरिडोर' बनाया गया. व्हाइटफील्ड मेट्रो से अस्पताल तक 5.5 KM की दूरी थी और RR नगर मेट्रो से स्पर्श अस्पताल तक 2.5 किलोमीटर. 

55 मिनट में तय की 31 किलोमीटर
स्पर्श अस्पताल ने बयान जारी कर बताया कि यह ऐतिहासिक पल था, जब ट्रैफिक को हराकर मेट्रो ने वक्त पर अंग पहुंचाकर एक जान बचाई. बेंगलुरु की नम्मा मेट्रो के ज़रिए एक गंभीर रूप से बीमार मरीज तक शहर के ट्रैफिक से बचते हुए समय पर लिवर पहुंचाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. शहर में पहली बार ऐसी मेडिकल इमरजेंसी के लिए मेट्रो का इस्तेमाल किया गया.

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मरीज़ हेपेटाइटिस से जुड़ी गंभीर लिवर की समस्या से जूझ रहा था. दान किए गए लिवर को मेट्रो के ज़रिए आरआर नगर स्थित स्पर्श अस्पताल पहुंचाकर उसे नया जीवन दिया गया. यह ऑर्गन, एक 24 वर्षीय दुर्घटना पीड़ित से प्राप्त किया गया, जिसे व्हाइटफील्ड से अस्पताल तक 31 किलोमीटर और 30 मेट्रो स्टेशनों को पार करते हुए मात्र 55 मिनट में पहुंचाया गया.

ट्रैफिक की वजह से लिया गया फैसला
शाम के वक्त भारी ट्रैफिक की वजह से अस्पताल को डर था कि अगर लिवर समय पर नहीं पहुंचा, तो वह खराब हो सकता है और मरीज की जान पर बन आएगी. ऐसे में मेडिकल टीम ने तुरंत फैसला लिया कि लिवर को मेट्रो के ज़रिए पहुंचाया जाए.

आखिरी डिब्बा बना 'लाइफ लाइन'
स्पर्श अस्पताल की टीम ने नम्मा मेट्रो की पर्पल लाइन के आखिरी डिब्बे में लिवर को रखा. BMRCL ने इस मिशन के लिए पूरा सहयोग दिया और अंतिम कोच को खास मेडिकल टीम के लिए रिजर्व कर दिया गया. पूरी सुरक्षा और ग्राउंड स्टाफ के साथ मिशन को अंजाम दिया गया.

वायरल हुआ वीडियो
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही क्लिप में देखा जा सकता है कि अस्पताल की टीम मेट्रो से उतरती है और तेजी से लिवर लेकर बाहर जाती है. मेट्रो स्टेशन से अस्पताल तक का रास्ता भी पहले से तैयार किया गया था, ताकि एक मिनट की देरी न हो.

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डॉक्टर बोले - "मेट्रो ही था सबसे तेज़ रास्ता"
स्पर्श अस्पताल के डॉक्टर महेश गोप शेट्टी ने बताया-"अगर हम सड़क से जाते तो ट्रैफिक में फंसने का खतरा था. मेट्रो ने हमें सबसे तेज़ और सुरक्षित रास्ता दिया. बीएमआरसीएल और SOTTO कर्नाटक ने जिस तेजी और समर्पण से मदद की, वो काबिले तारीफ है."

रात भर चली सर्जरी, मरीज ICU में स्थिर
लिवर ट्रांसप्लांट की सर्जरी पूरी रात चली और सुबह 3 बजे खत्म हुई. फिलहाल मरीज ICU में है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है.

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