छत पर कॉफी पी रही थी महिला, अचानक आ टकराया उल्कापिंड का टुकड़ा, और फिर... 

एक महिला के साथ हाल में अजीब घटना घटी. जब वह अपने घर की छत पर बैठी कॉफी पी रही थी तभी अचानक उसके शरीर से कोई चीज टकराई. उसने ध्यान से देखा तो ये एक पत्थर सा टुकड़ा था लेकिन जांच करने पर उसे जो पता लगा उससे वह हैरान रह गई.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST

एक महिला उस समय शॉक में आ गई जब वह अपने दोस्त के साथ छत पर कॉफी पी रही थी. जब महिला बाहरी छत पर बैठी थी, तभी अचानक एक रहस्यमयी कंकड़ उसकी पसलियों से जोर से लगा. उसे बिल्कुल समझ नहीं आया कि ये क्या है. न्यूजवीक की रिपोर्ट के अनुसार ये रहस्यमयी घटना 6 जुलाई की फ्रांस की है.

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'पसलियों में महसूस हुआ जोरदार झटका'

महिला ने फ्रांसीसी अखबार लेस डेर्निएरेस नोवेल्स डी'अलसैस को बताया “मैंने हमारे बगल की छत पर तेज आवाज़ सुनी. इसके बाद दूसरे ही पल मुझे पसलियों में जोरदार झटका महसूस हुआ. मुझे लगा कि यह कोई जानवर है, शायद चमगादड़. फिर लगा कि शायद कोई सीमेंट का टुकड़ा है, जिसे हम रिज टाइल्स पर लगाते हैं. लेकिन इसमें कोई रंग नहीं था.'' 

'यह तो उल्कापिंड जैसा दिखता है'

इसका पता लगाने के लिए महिला ने एक स्थानीय छत बनाने वाले से उस टुकड़े की जांच कराई. उसने बताया कि ये सीमेंट तो बिल्कुल नहीं बना है बल्कि यह तो उल्कापिंड जैसा दिखता है. महिला ये सुनकर हैरान रह गई. इसके बाद उन्होंने भूविज्ञानी थिएरी रेबमैन को यह रहस्यमयी वस्तु दिखाई, जिन्होंने इसकी अलौकिक उत्पत्ति की पुष्टि की.

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'ऐसी चीज का किसी इंसान से टकराना तो...'

रेबमैन ने कहा कि ''उल्कापिंड के अंदर लोहे और सिलिकॉन का मिश्रण था, जो अपने आप में दुर्लभ नहीं है. लेकिन ऐसी चीज का किसी इंसान से टकराना बिल्कुल एक दुर्लभ घटना है.  रेबमैन ने कहा, ''उल्कापिंड का मिलना पहले से ही असामान्य है, लेकिन सीधे किसी के शरीर के संपर्क में आना और उसका आप पर गिरना खगोलीय रूप से दुर्लभ है."

हर दिन धरती पर गिरता है 50 टन उल्कापिंड का हिस्सा

रेबमैन ने कहा “हमारे टेम्परेट वातावरण में उन्हें ढूंढना बहुत दुर्लभ है. वे अन्य तत्वों के साथ विलीन हो जाते हैं. हालांकि, रेगिस्तानी वातावरण में, हम उन्हें अधिक आसानी से पा सकते हैं." नासा के अनुसार, उल्कापिंड 'अंतरिक्ष चट्टानें' हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से जमीन से टकराते हैं. अनुमान है कि हर दिन लगभग 50 टन उल्कापिंड का हिस्सा पृथ्वी पर गिरता है.

 

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