आईपीएस नवनीत सिकेरा (IPS Navniet Sekera) का फेसबुक पोस्ट वायरल हो रहा है. इस पोस्ट में उन्होंने उधार लेने वाले एक शख्स की कहानी शेयर की है. पोस्ट में उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने एक व्यक्ति को कुछ पैसे भेजे. फिर भूल गए. लेकिन, इस शख्स ने 'गूगल पे' नंबर मांगकर उन्हें पैसे वापस देने की बात कही. नवनीत सिकेरा ने कहा- मैं उसकी आइडेंटिटी बताना नहीं चाहता हूं, पर उस बंदे की खुद्दारी ने मेरा दिल जीत लिया.
नवनीत सिकेरा के इस पोस्ट पर फेसबुक यूजर्स भी कमेंट कर रहे हैं, एक यूजर्स ने लिखा कि कम ही लोग होते हैं, जो उधार लेने के बाद भी याद रखते हैं. नवनीत सिकेरा वर्तमान में यूपी पुलिस में ADG (Additional Director General of Police) के पद पर तैनात हैं. वह 1996 बैच के IPS अधिकारी हैं.
उन्होंने बताया- यह एक साल पुरानी बात है. जिस शख्स को मैंने पैसे दिए उसे मैं फेसबुक के माध्यम से जानता था. यह शख्स बहुत क्राइसिस में था. वह उन्हें फोन कर रहा था. हाय हैलो कहकर फोन करके रख दे रहा था. इसी दौरान फिर मुझे ऐसा लगा कि शायद कुछ कहना चाह रहा है. पर हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है. इसके बाद मैंने उससे कहा, 'मुझे बताओ.. मैं तुम्हारा भाई हूं.'
फिर उसने कहा सैलरी नहीं आई है. मकान मालिक ने ताला डाल दिया है, आज कहां रुकूंगा, पता नहीं. नवनीत सिकेरा ने कहा कि नेकी कर दरिया में डाल के हिसाब से उसे पैसे दे दिए थे. अब उसने मैसेज भेजकर पैसे भेजने की बात कही.
IPS नवनीत सिकेरा ने इस पोस्ट में लिखा, 'अमाउंट तो बहुत छोटी चीज होती है, लेकिन तुमने तो यार दिल जीत लिया, अब मैं हमेशा तुम्हारे पीछे बड़े भाई की तरह खड़ा रहूंगा.' IPS ने इस शख्स को अपने पोस्ट में 'दूर राज्य के मित्र' के तौर पर परिभाषित किया है. उन्होंने कहा कि उसे बहुत ही कम अमाउंट की जरूरत थी. उन्होंने उसे डबल अमाउंट अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया.
इस फेसबुक पोस्ट पर 3 हजार से ज्यादा यूजर्स कमेंट कर चुके हैं. वहीं 23 हजार से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को लाइक किया है. कई यूजर्स ने इस पोस्ट पर अपने अनुभव भी लिखे.
सुकृति दीक्षित ने लिखा- आज के समय में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो लिया हुआ पैसा वापस कर दें. गगन ने लिखा- आपने जो बुरे वक्त में उसका सहयोग किया वो साहस किसी में नहीं होता सर.
आशुतोष दीक्षित नाम के फेसबुक यूजर ने लिखा- हमने तो जितनो को पैसे दिए, बदले में पैसे वापस भी न मिले, बोनस में गाली भी बहुत मिली, डरकर हमने मांगना ही बंद कर दिया.
Krishan Kumar