दुनिया जहां तेज-तर्रार कॉर्पोरेट लाइफ, लंबी वर्किंग आवर्स और हर दिन की भागदौड़ में उलझी हुई है, वहीं नॉर्वे से सामने आया एक वीडियो काम और जिंदगी के बिल्कुल अलग संतुलन को दिखाता है. इंस्टाग्राम पर भारतीय मरीन टेक प्रोफेशनल सचिन डोगरा ने शेयर किया. यह वीडियो बता रहा है कि नॉर्वे में वर्क कल्चर कितना सहज, मानवीय और कर्मचारी-केंद्रित है और क्यों यह देश लगातार दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में शामिल होता है.
सिर्फ 7.5 घंटे ही काम
डोगरा बताते हैं कि नॉर्वे की ज्यादातर कंपनियां रोजाना केवल 7.5 घंटे ही काम करती है. लेकिन खास बात यह है कि इन घंटों को कैसे व्यवस्थित किया जाता है. देश की कई कंपनियाँ कोर आवर्स और फ्लेक्सिबल आवर्स का मॉडल अपनाती हैं, जहां सख्त टाइमिंग्स की जगह कर्मचारियों को अपने दिन को अपनी सुविधा के अनुसार बनाने की पूरी आजादी दी जाती है.
पूरी आजादी
कोर आवर्स वह वक्त होता है जब टीम को मीटिंग्स, चर्चाओं और जरूरी सहयोग के लिए उपलब्ध रहना होता है. इसके बाहर के घंटे पूरी तरह लचीले होते हैं. कोई चाहे तो सुबह जल्दी काम निपटा ले, कोई बच्चों को स्कूल छोड़कर वापस काम जारी रखे, और कोई शाम को आराम से अपना अधुरा काम पूरा करे. यह आजादी लोगों को ऑफिस शेड्यूल नहीं, बल्कि अपनी निजी जिंदगी के अनुसार दिन को ढालने की सुविधा देती है.
वीडियो में सचिन डोगरा बताते हैं कि यही सोच नॉर्वे के लोगों को काम के साथ जीवन को भी बराबर प्राथमिकता देने का मौका देती है, और यही वजह है कि यह देश अक्सर दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में गिना जाता है.
देखें वायरल वीडियो
यूरोप वाले जी रहे हैं…
वीडियो ने इंस्टाग्राम पर बड़ा असर छोड़ा. कई यूजर्स ने लिखा कि यह जिंदगी और नौकरी के बीच का अंतर साफ दिखाता है. एक यूजर ने दुख जताते हुए लिखा कि 14 घंटे काम करने के बाद यह वीडियो देख रहा हूं. दूसरे ने कहा कि यूरोप वाले जी रहे हैं… और हम बस इंडिया में सर्वाइव कर रहे हैं. वहीं किसी ने कहा ये ऑफिस नहीं, ये तो स्वर्ग है.
वहीं किसी ने कहा कि कॉरपोरेट मजदूर में आज खुशी की लहर दौड़ गई.एक और यूजर ने फनी अंदाज़ में लिखा-इधर तो 8 घंटे कोर और बाकी 16 फ्लेक्सिबल बता देते हैं.
यह वीडियो 22 नवंबर 2025 को शेयर किया गया था और अब तक इसे 1.1 मिलियन व्यूज और 68,000 से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं, जो यह दिखाता है कि लोग ऐसे बैलेंस्ड वर्क कल्चर को कितना मिस करते हैं.
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