यूनिवर्स यानी ब्रह्मांड एक ऐसी जगह है जो रहस्यों से भरी हुई है. इसके बारे में बहुत कुछ जानने का बावजूद बहुत कुछ ऐसा है जिससे वैज्ञानिक अभी भी अंजान हैं. यूनिवर्स में कभी प्रकृति के खूबसूरती देखने को मिलती है तो कभी उसका विकराल रूप. धरती के विनाश को लेकर भी आए दिन नई- नई थ्योरी और तारीखें तक सामने आती हैं. ताजा जानकारी भी कुछ इसी तरह से डराने वाली है. दरअसल, वैज्ञानिकों ने बताया है कि एक विशाल कॉमेट यानी धूमकेतु पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है.
कल्पना कीजिए कि क्या होगा जब कोई विशाल धूमकेतू धरती से आ टकराए. इसका प्रभाव विशाल क्षेत्रों को नष्ट कर सकता है, शहरों, देशों या यहां तक कि पूरी मानव जाति को भी पूर्ण विनाश के खतरे में डाल सकता है.
माउंट एवरेस्ट से भी बड़ा 'शैतान धूमकेतु'
जानकारी के अनुसार ये धूमकेतु इतना बड़ा है कि माउंट एवरेस्ट भी इसके आगे छोटा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, सींग जैसे दिखने के कारण, इसे "शैतान धूमकेतु" कहा गया है और माना जा रहा है कि यह गैस और धूल से बना है. लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, धूमकेतु का उचित नाम 12पी/पोंस-ब्रूक्स है, और अब इसके विशिष्ट सींग गायब हो गए हैं और एक रहस्यमय "छाया" के साथ एक दुर्लभ हरे रंग में बदल गए हैं.
एक ठंडा ज्वालामुखी है ये
ऐसा 10.5 मील चौड़े धूमकेतु के क्रायोवोल्केनिक होने के कारण है, जिसका अर्थ है कि यह एक ठंडा ज्वालामुखी है और इसके न्यूक्यीयस में दबाव बनने के कारण इसका शेल फट गया है. यह देखते हुए कि यह दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत से भी बड़ा है, अगर यह सीधे पृथ्वी की ओर बढ़ रहा होता तो यह काफी चिंताजनक होता. लेकिन डरें नहीं क्योंकि हमें अभी तबाही के लिए तैयार नहीं होना है क्योंकि धूमकेतु हमारी धरती से से सूर्य से पृथ्वी की दूरी से डेढ़ गुना दूर है. नासा ने भी हमें आश्वस्त किया है कि 'शैतान धूमकेतु' के पृथ्वी से टकराने को लेकर चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है.
2 जून को पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचेगा और फिर...
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, "नासा को पता है कि वर्तमान में कोई एस्ट्राइड या धूमकेतु पृथ्वी के साथ टकराव की राह पर नहीं है, इसलिए बड़ी टक्कर की संभावना काफी कम है." बल्कि कहा जा सकता है कि अगले कई सौ वर्षों में किसी भी समय किसी चीज के पृथ्वी से टकराने की कोई संभावना नहीं है. खगोलविदों का कहना है कि धूमकेतु हर 71.2 साल में सूर्य की परिक्रमा करता है और इस साल के अंत में 2 जून को पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचेगा जहां इसे नग्न आंखों से देखा जा सकता है.
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