आपने फिल्म नायक देखी होगी, जिसमें अनिल कपूर हर किसी की समस्या पर तुरंत फैसला लेते हैं. अगर कोई अधिकारी काम नहीं करता है तो तुरंत उसे सस्पेंड भी कर देते हैं. मध्यप्रदेश में भी एक ऐसे कलेक्टर हैं, जो नायक स्टाइल में काम कर रहे हैं. उनकी इस स्टाइल की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है और कई वीडियो भी वायरल हो रहे हैं. ये हैं दतिया के कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े, जो हाल ही में पटवारी को सस्पेंड करने को लेकर चर्चा में रहे थे.
इसके साथ ही वो एक बेटे की तरह लोगों की समस्या सुनते हैं और तुरंत उसका समाधान कर देते हैं. तो कलेक्टर साहब से ही जानते हैं कि उनके काम करने के स्टाइल के बारे में और वीडियो बनाते हुए एक्शन लेने के पीछे क्या कारण है?
कौन-कौन से वीडियो हुए वायरल?
स्वप्निल वानखड़े के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं. हाल ही में एक वीडियो में दिखा था कि एक बुजुर्ग उनसे पूछ रहा था कि साहब कहां है, वो ही काम करेंगे. इसके जवाब में स्वप्निल वानखड़े बड़े धैर्य से कहते हुए दिख रहे हैं कि हम ही साहब हैं, लेकिन बुजुर्ग फिर भी मानने को तैयार नहीं होता. इस बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. इसके अलावा वो एक बेटे की तरह लोगों से समस्या पूछ रहे थे, उनके इस अंदाज को भी लोगों ने काफी पसंद किया था और उस दौरान के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे.
दतिया कलेक्टर का एक वीडियो भी काफी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने एक पटवारी को सभी के सामने सस्पेंड कर दिया था. उनके इस एक्शन की काफी तारीफ हुई थी, लेकिन कुछ लोग इसे दिखावा भी बता रहे है.
इसके बाद कई पटवारी उनके पास विरोध करने पहुंचे तो उन्होंने कहा था कि आप दबाव बनाएंगे तो मैं झुकुंगा नहीं और मैं पैसों के लिए काम नहीं करता. इस पर स्वप्निल वानखड़े ने कहा था कि जब कोई अच्छा काम करता है तो कई लोग खिलाफ बोलने वाले भी खड़े हो जाते हैं. ऐसे में जो लोग बोल रहे हैं, उन्हें बोलने दीजिए कुछ फर्क नहीं पड़ता.
कैसा है काम करने का स्टाइल?
स्वप्निल वानखड़े ने आजतक को बताया कि उनका काम करने का कुछ अलग स्टाइल नहीं है. उन्होंने बताया, 'मैं जब भी जनसुनवाई में बैठता हूं तो सभी अधिकारियों के साथ बैठता हूं. हमारा लक्ष्य है कि कोर्ट में जो मामले पेंडिंग हैं, उनके अलावा हम सभी मामलों की सुनवाई करें और उसका तुरंत निदान कर दें. ऐसे में करीब 80 फीसदी मामलों को उसी वक्त सुलझा दे दें, लक्ष्य रहता है कि जितना ज्यादा हो सके, उन मामलों की सुनवाई कर देते हैं.'
उन्होंने बताया, 'इस दौरान संबंधित अधिकारियों को भी आदेश दे दिया जाता है ताकि तुरंत काम हो सके. ऐसे में जो काम नहीं करते हैं, उन कर्मचारियों पर कार्रवाई भी करनी पड़ती है, जैसा पटवारी वाले मामले में हुआ.'
क्या इसका फायदा हो रहा है?
कलेक्टर वानखड़े ने बताया, 'तुरंत एक्शन वाले फॉरमेट से काम से शिकायतों का तुरंत निपटारा हो जा रहा है. इसके साथ ही कई सेक्टर्स में सुधार देखने को मिल रहा है. हमने हेल्थ सेक्टर में काफी काम किया है, जिसकी वजह से दतिया में मातृ-शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है, ये पहले भारत के औसत से भी काफी ज्यादा थी और अब इस पर कंट्रोल हो रहा है. हमनें ग्रामीण अस्पतालों में ई-अटेंडेंस के प्रोसेस का लागू किया है, जिससे मेडिकल कर्मचारी फील्ड में जा रहे हैं. नतीजा ये है कि अब जिले के प्रमुख अस्पतालों तक लोग कम आ रहे हैं और गांवों में ही उनका इलाज हो रहा है.'
उन्होंने बताया, 'इसके साथ ही छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर भी डिलिवरी की सुविधा की जा रही है, जिससे आस-पास के हॉस्पिटल में डिलिवरी की सुविधा मिल रही है. हमारा लक्ष्य शिक्षा और हेल्थ को बेहतर बनाना है, जिसपर काम कर रहे हैं और लगातार रिजल्ट भी मिल रहे है. जो कंट्रोल रूम से शिकायतें आती हैं, उन्हें भी तुरंत निपटाया जा रहा है. इस वजह से कुछ महीनों से दतिया शिकायतों के निपटारे में पहले स्थान पर है.'
वीडियो क्यों कर रहे हैं शेयर?
सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करने को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसा करने से काफी फायदा होता है. उन्होंने बताया कि जब वीडियो शेयर होते हैं, तो लोगों तक मैसेज जाता है कि अब काम करना पड़ेगा. ऐसे में अन्य अधिकारी भी अपना काम अच्छे से करते हैं और लोगों में भी प्रशासन के प्रति विश्वास पैदा होता है. उन्होंने बताया, 'कई बार मैं मेले आदि में जानकर वीडियो शेयर करवाता हूं ताकि लोगों को लगता है कि साहब वहीं हैं तो कोई दिक्कत नहीं होगी और दूसरे अधिकारियों को भी लगता है कि मैं यहां हूं तो कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए.'
'कभी कभी डर भी लगता है'
वीडियो वायरल होने को लेकर उन्होंने बताया कि ऐसा करने से कई बार डर भी लगता है कि ऐसे में आपकी एक छोटी सी गलती भी काफी आगे तक जा सकती है और उसका प्रभाव पड़ सकता है. वहीं ट्रांसफर के डर पर उन्होंने कहा कि ट्रांसफर का कोई डर नहीं है और मैं अपना काम अच्छे से कर रहा हूं.
मोहित पारीक