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कई टुकड़ों में टूटा दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड, 20 लाख जीवों की जान बची

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:07 PM IST
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दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग यानी हिमखंड टूट कर दर्जनों टुकड़ों में बंट चुका है. यूएस नेशनल आइस सेंटर के मुताबिक कुछ सालों से समुद्र में तैरते हुए यह हिमखंड कई देशों को डरा रहा था. लेकिन अब यह खुद ही नष्ट होने वाला है. ये हिमखंड खत्म होने की कगार पर है. इस हिमखंड के टूटने की वजह से इसके आसपास के इलाकों में रहने वाली 20 लाख पेंग्विंस को अब राहत की सांस मिली है. (फोटोःगेटी)

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इस विशालकाय हिमखंड (Iceberg) का नाम है A-68. यह 12 जुलाई 2017 को उत्तरी अंटार्कटिका के लार्सेन सी आइस सेल्फ (Larsen C Ice Shelf) से टूटकर अलग हुआ था. इसके बाद ये लगातार उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा था. जिसकी वजह से कुछ बर्फीले द्वीपों पर रहने वाले पेंग्विंस जैसे जीवों के लिए खतरा पैदा हो गया था. (फोटोःगेटी)

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Iceberg A-68 का क्षेत्रफल 6000 वर्ग किलोमीटर था. यानी इसमें चार दिल्ली समा सकते हैं. अप्रैल 2020 में इस हिमखंड के टुकड़े होने शुरू हुए थे. जो लगातार टूटकर अलग-अलग दिशा में तैर रहे थे. पिछले हफ्ते इसमें से एक बहुत बड़ा टुकड़ा अलग हुआ. (फोटोःगेटी)

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ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरी में साउथ जॉर्जिया आइलैंड के दोनों तरफ इसने कब्जा जमाना शुरू कर दिया था. लेकिन गर्म पानी के इलाके में आने की वजह से इसका टूटना शुरू हो गया. 10 महीनों में इसके कई टुकड़े हो गए. यूएस नेशनल आइस सेंटर (USNIC) के अनुसार इस समय Iceberg A-68 के कुल 13 टुकड़े हुए हैं. (फोटोःESA)

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पिछले सात दिनों में Iceberg A-68 के 13 टुकड़े हो चुके हैं. यूएस नेशनल आइस सेंटर (USNIC) के अनुसार पहले हुए टुकड़ों के बाद अब A-68g, A-68h, A-68i, A-68j, A-68k, A-68l और A-68m हिस्से और हो चुके हैं. इसके पहले छह टुकड़े थे, जिनके नाम हैं- A-68a, A-68b, A-68c, A-68d, A-68e, A-68f और A-68g. (फोटोःगेटी)

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इन टुकड़ों ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि अब Iceberg A-68 अपने खात्मे की ओर बढ़ चुका है. इसी के साथ साउथ जॉर्जिया द्वीप पर रह रहे 20 लाख पेंग्विंस की जान बच गई. अगर Iceberg A68a दक्षिण जॉर्जिया के तट पर जाकर रुक जाता तो इन लाखों पेंग्विंस और सील्स को खाने-पीने की दिक्कत हो जाती. क्योंकि Iceberg A68a जितना समुद्र के बाहर दिखता है, उससे ज्यादा समुद्र के अंदर है. यह समुद्र में इतना बड़ा इलाका घेर लेगा कि पेंग्विंस और सील्स उतने बड़े इलाके में खाना नहीं खोज पाएंगे. (फोटोःगेटी)

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दो महीने पहले तक यह साउदर्न अंटार्कटिक सर्कमपोलर करेंट फ्रंट में फंसा था. यानी यहां पर अंटलांटिक महासागर की लहरें काफी तेज चलती हैं. इस वजह से ये आइसबर्ग दक्षिण जॉर्जिया की तरफ तेजी से जा रहा था. लेकिन इसके टूटने की वजह से अब इतना विशालकाय खतरा नहीं बचा. अब पेंग्विंस और सील्स को खाने की कमी नहीं पड़ेगी. (फोटोःगेटी)

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फिलहाल इसके टुकड़े 2.5 सेंटीमीटर प्रतिदिन की दर से पिघल रहे हैं. यानी हर दिन यह 767 क्यूबिक मीटर प्रति सेंकेंड साफ पानी समुद्र में जोड़ रहा है. यह इतना पानी है जितना इंग्लैंड की थेम्स नदी से प्रति सेकेंड बहता है. निकट भविष्य में ये सारे टुकड़े पिघल जाएंगे इनकी वजह से किसी समुद्री जीव को दिक्कत नहीं होगी. (फोटोः गेटी)

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