प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह अचानक लेह के नीमू फॉरवर्ड पोस्ट पहुंच गए. उनकी इस सरप्राइज विजिट से पाकिस्तान, चीन समेत पूरी दुनिया हैरान रह गई. नीमू फॉरवर्ड पोस्ट ऐसी जगह पर है जहां से भारतीय सेना पाकिस्तान और चीन दोनों को साध सकती है. ये रणनीतिक तौर पर भारतीय सेना के लिए बेहद अहम पोस्ट है. आइए जानते हैं नीमू फॉरवर्ड पोस्ट के बारे में. (फोटोः गेटी)
नीमू फॉरवर्ड पोस्ट एक गांव हैं जो लेह से 35 किलोमीटर दूर लिकिर तहसील में है. यह समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बसा है. यहां का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान माइनस 29 डिग्री सेल्सियस तक जाता है. (फोटोः गेटी)
नीमू में पेड़-पौधे कम हैं. आमतौर पर चारों तरफ सूखी हुई पहाड़ियां दिखती हैं. सर्दियों में ये इलाका बर्फ से ढंक जाता है. नीमू गांव से 7.5 किलोमीटर दूर स्थित है मैग्नेटिक हिल. यह पहाड़ अपनी चुंबकीय शक्ति के लिए जाना जाता है. यह जगह देश-विदेश के पर्यटकों में विख्यात है. (फोटोः गेटी)
नीमू फॉरवर्ड पोस्ट पर ढेर सारे बौद्ध मठ हैं. इसके अलावा सेबों के बागान हैं. इस इलाके में स्थित सिंधु और जंस्कार नदी में रिवर राफ्टिंग करने के लिए भी लोग आते हैं. यहां का पत्थर साहिब गुरुद्वारा भी सिख धर्मावलंबियों के बीच काफी प्रसिद्ध है. (फोटोः गेटी)
2011 की जनगणना के मुताबिक नीमू में 193 घर हैं. यहां पर शिक्षा का दर 72.51 फीसदी है. कुल आबादी 1134 है. इनमें से 568 पुरुष और 566 महिलाएं हैं. (फोटोः गेटी)
नीमू सिंधु घाटी और जंस्कार घाटी के बीच स्थित एक मैदानी इलाका है. 1999 में हुए करगिल युद्ध के बाद नीमू में भारतीय सेना ने अपना सैन्य बेस बनाया. यह सैन्य बेस ऐसी जगह पर है जहां से पाकिस्तान और चीन दोनों तरफ हमला किया जा सकता है. (फोटोः गेटी)
भारतीय सेना ने नीमू में मेजर जनरल आरके गौर के नेतृत्व 28 डिविजन सैन्य बेस की स्थापना यहां पर की थी. ये बात थी 1980 के दशक की. उसके बाद यहां पर सैनिकों की संख्या कम की गई थी. लेकिन करगिल युद्ध के बाद यहां पर 8वीं डिविजन तैनात की गई. (फोटोः गेटी)
इस समय लेह सैन्य मुख्यालय की चौदहवीं कॉर्प्स के तहत यहां पर दो सैन्य बेस हैं. एक लेह में है दूसरा नीमू में. इसी जगह से सियाचिन के ऑपरेशंस चलते हैं. यहीं से भारतीय सेना सियाचिन पर नजर रखती है. (फोटोः गेटी)
नीमू एक बेहतरीन डिफेंस लाइन है. यहां से लद्दाख, मुस्कोह, द्रास, करगिल, पाकिस्तान, पैंगोंग झील, चुशुल आदि पर सीधी नजर रखी जा सकती है. (फोटोः गेटी)
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीमू-बाजगो हाइडल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था. उस समय नरेंद्र मोदी लद्दाख के पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए थे. उनके साथ मौके पर उमर अब्दुल्ला भी थे. (फोटोः AFP)