प्रकृति का प्रकोप इंसानों से ज्यादा जानवरों को झेलना पड़ता है. ऑस्ट्रेलिया में इस साल भीषण गर्मी की वजह से जंगलों में जो आग लगी उससे लगभग 300 करोड़ जानवर और पक्षी मारे गए. यह आंकड़ा जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-ऑस्ट्रेलिया द्वारा जारी किया गया है.
यह आंकड़ा जनवरी में ऑस्ट्रेलियाई स्तनधारी विशेषज्ञ प्रोफेसर क्रिस डिकमैन द्वारा दिए गए अनुमान का लगभग तीन गुना है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-ऑस्ट्रेलिया ने 2019-20 में जंगलों में आग से मारे गए या विस्थापित हुए जानवरों की संख्या का विस्तृत अनुमान प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों के एक समूह का गठन किया गया था जिसने मंगलवार को अपनी अंतरिम रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट में आग से प्रभावित 11.46 मिलियन हेक्टेयर भूमि की जांच की गई तो पता चला कि लगभग तीन अरब देशी जानवर जंगलों में मौजूद लकड़ियों की वजह से जल गए . इसमें 143 मिलियन स्तनधारी, 2.46 बिलियन सरीसृप, 180 मिलियन पक्षी और 51 मिलियन मेंढक शामिल हैं जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे आग की चपेट में आ गए थे.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डर्मोट ओ गोरमैन ने कहा कि निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं. उन्होंने कहा, 'दुनिया में कहीं भी ऐसी दूसरी घटना के बारे में सोचना मुश्किल है, जिसमें कई जानवर मारे गए या विस्थापित हो गए. इसे आधुनिक इतिहास में सबसे खराब वन्यजीव आपदा कहा गया है.
प्रो डिकमैन ने जनवरी में ब्लैक समर की आग में एक बिलियन से अधिक जानवरों के मारे जाने का अनुमान लगाया था. उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा पुराना था और केवल एनएसडब्ल्यू और विक्टोरिया में जलाए गए क्षेत्रों को लेकर दिया गया था.
सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने मंगलवार को कहा कि वैज्ञानिक कितनी जानवरों की मौत हुई है इसकी सटीक पुष्टि नहीं कर सकते हैं. किसी भी वन्यजीव के बचने की संभावनाएं भोजन और आश्रय की कमी पर निर्भर करता है. उन्होंने तर्क दिया कि झाड़ियों ने पर्यावरण को बदल दिया है और देशी जैव विविधता को समाप्त कर दिया है.