उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के छोटे से गांव की रहने वाली पिंकी गौतम अलग ही पहचान रखती हैं. खास बात ये है कि गांव की हर लड़की पिंकी बनना चाहती है. पिंकी ने वैसे तो सबसे छोटा चुनाव क्षेत्र पंचायत सदस्य में जीत दर्ज की थी, लेकिन बीच में ग्राम प्रधान पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे, तो पिंकी को प्रधान की जिम्मेदारी सौंप दी गई. एमए और बीएड कर चुकी पिंकी इतनी ईमानदार हैं, कि उसके पदचिन्हों पर अब गांव की हर लड़की चलना चाहती है.
(फोटो- आमिर खान)
जनपद रामपुर की तहसील टांडा अंतर्गत ग्राम सेटा खेड़ा में सिलेक्टेड प्रधान के रूप में पिंकी गौतम ने चंद दिनों में ही गांव के विकास को अपने कामों से रफ्तार दिलाई. उनके छोटे से कार्यकाल में जहां गांव में शौचालयों का निर्माण कराया गया, वहीं रास्तों और गलियों का भी कायाकल्प किया गया. हालांकि पिंकी एक बार फिर से पूर्णकालिक निर्वाचन में हिस्सा लेकर प्रधानी का चुनाव लड़ रही हैं और वह एक बार फिर से प्रधान बनने के बाद गांव के चौतरफा विकास का प्रण लेकर चुनाव मैदान में मजबूती के साथ आ डटी हैं. हालांकि यह बात अलग है उन्हें प्रधान की कुर्सी पाने के लिए लोकतांत्रिक ढंग से पंचायत चुनाव जीतना होगा.
सिलेक्टेड प्रधान पिंकी गौतम के मुताबिक वह डबल एमए के साथ ही B.Ed भी कर चुकी हैं. जब वह गांव की एकमात्र बेटी के रूप में अपनी शुरुआती शिक्षा को हासिल करने के लिए घर से स्कूल निकलीं तो उसे समाज के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और जब वह कक्षा 8 की परीक्षा पास करने के बाद गांव से कई किलोमीटर दूर एक इंटर कॉलेज में शिक्षा हासिल करने के लिए पहुंची, तो तब भी उन्हें समाज के कुछ लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की. अंत में वह इन सब से मजबूती के साथ उभर कर अपनी जद्दोजहद से उच्च शिक्षा हासिल की. वहीं अब पिंकी गांव की अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं.
पिंकी बताती है कि भले ही उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए जद्दोजहद की, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि गांव की अन्य लड़कियों ने उनकी देखा देखी तालीम हासिल की और कुछ लड़कियां तो कामयाबी के मुकाम तक भी पहुंची, जिनमें से कुछ तो पुलिस में हैं और कुछ शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं.
पिंकी के मुताबिक उसके घर से कभी कोई राजनीति में नहीं आया था. वह पढ़ी-लिखी हैं और उसका मानना है कि युवा पीढ़ी को चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए, क्योंकि युवाओं में कुछ कर गुजरने का माद्दा होता है, हालांकि वह बुजुर्गों को हर मामले में साथ लेकर चलने की बात कहती हैं.