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नौकरी छोड़ बना IPS, इस 'सिंघम' ने 57 डकैतों को पहुंचाया जेल

उमेश मिश्रा
  • 11 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST
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आपने सिंघम फिल्म देखी होगी जिसमें अजय देवगन क्रिमिनल्स के छक्के छुड़ाते नजर आते हैं. फिल्मी दुनिया से हटकर हम अगर बात करें रियल लाइफ की तो यहां भी एक ऐसे सिंघम हैं जिन्होंने बदमाशों के छक्के छुड़ा दिए. चंबल के बीहड़ों से डकैतों का सफाया करने वाले उस व्यक्ति का नाम है एसपी मृदुल कच्छावा. जी हां इनके नाम से बदमाश कांपते हैं तो वहीं गांव वाले उनकी इज्जत करते हैं. 

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मृदुल कच्छावा राजस्थान के बीकानेर जिले के रहने वाले हैं. बीकानेर में ही इनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई और केंद्रीय विद्यालय जयपुर से सीनियर सैकण्डरी करने के बाद जयपुर के कॉमर्स कॉलेज से बीकॉम किया. बीकॉम करने के बाद मृदुल कच्छावा ने राजस्थान विश्वविद्यालय से एमआईबी किया. डिग्री हासिल करने के बाद जयपुर से ही सीए और सीएस की पढ़ाई की.

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मृदुल कच्छावा ने इसके बाद नेट भी क्वालीफाई किया. मृदुल कच्छावा ने एक वर्ष जर्मन बैंक में नौकरी की. बैंक में नौकरी करने के बाद मृदुल कच्छावा यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली चले गए और दिल्ली में ढाई वर्ष रहे. 2014 में मृदुल कच्छावा का चयन भारतीय डाक सेवा में हो गया, लेकिन मृदुल कच्छावा को यह रास नहीं आया क्योंकि उनको तो आईपीएस बनना था और 2015 में मृदुल कच्छावा का आईपीएस में चयन हो गया.  मृदुल कच्छावा की पत्नी का नाम कनिका सिंह हैं. कनिका सिंह सीनियर आईपीएस पकंज सिंह की पुत्री हैं.

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मृदुल कच्छावा को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में प्रोवेशनल एसपी जनवरी 2017 से जून 2017 तक लगाया गया. इसके बाद गंगानगर में 2018 तक वो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रहे. गंगानगर के बाद मृदुल कच्छावा को अजमेर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एसपी पद पर लगाया गया और यहां कच्छावा जनवरी 2019 से जुलाई 2019 तक रहे. अजमेर के बाद मृदुल कच्छावा को पहला जिला धौलपुर मिला और यहां उन्होंने वो कर दिखाया जो उनके मन में शुरू से था कि अपराधियों का सफाया करना है.

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अपने छोटे से कार्यकाल में मृदुल कच्छावा ने चम्बल के बीहड़ में पहली वार 57 डकैत और बदमाशों को पकड़ कर सलाखों के पीछे भेजा. धौलपुर जिले के चंबल के बीहड़ दशकों से बागी, बजरी, बंदूक और बदमाशों के नाम से विख्यात और कुख्यात रहे हैं. चंबल के बीहड़ों पर डकैतों के लिए यह भी कहा जाता है कि एक मरे दो जावे, जाको वंश डूब ना पावे' वाली कहावत चरितार्थ होती है. सदियों से चंबल के बीहड़ को डकैतों की शरण स्थली माना जाता रहा है. चंबल के बीहड़ों में डकैतों की बंदूक कभी भी खामोश नहीं रही.

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दशकों पूर्व डकैत फूलन देवी, डकैत मोहर सिंह, डकैत माधो सिंह, डकैत पुतलीबाई, डकैत मलखान, डकैत जगजीवन परिहार, डकैत पान सिंह सहित एक दर्जन से अधिक डकैतों ने देश के कोने-कोन में चंबल बीहड़ों को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. धौलपुर शुरू से ही चंबल घाटी के नाम से विख्यात रहा है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सीमा से लगा होने पर जिले की चंबल घाटी डकैतों के लिए सबसे सुरक्षित रही है. समय के बदलाव के साथ डकैतों की कार्यशैली एवं अपराध के तरीके में भी भारी अंतर देखने को मिला.

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आधुनिक तकनीकी डकैतों के साधन एवं संसाधन का जरिया रही तो वही तकनीकी डकैतों को जेल भेजने में भी कारगर साबित हुई है. इस तकनीकि का पूरा लाभ उठाया धौलपुर के युवा और ऊर्जावान आईपीएस पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने. युवा पुलिस कप्तान ने चंबल के बीहड़ों से डकैतों और बदमाशों का सफाया करने का बीड़ा उठाया और टीमों का गठन कर खुद ने मोर्चा संभाल लिया. आधुनिक तकनीक की सहायता से चंबल घाटी में सदियों से व्याप्त भय और खौफ को खत्म करते हुए नजर आ रहे हैं.

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चंबल से अपराध को मुक्त करना धौलपुर पुलिस की बड़ी कामयाबी का हिस्सा माना जा रहा है. हालांकि, कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन एसपी राहुल प्रकाश एवं विकास कुमार ने भी बीड़ा उठाया था और कई सफलताएं भी अर्जित की गईं लेकिन अपराध बरकरार रहा. जुलाई 2019 से अब तक एसपी मृदुल कच्छावा ने 57 डकैत और हार्डकोर अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा है जिनमें पुलिस के लिए बड़ी चुनौती रहा डकैत जगन गुर्जर का छोटा भाई पप्पू गुर्जर, डकैत लाल सिंह गुर्जर, डकैत रामविलास गुर्जर, डकैत भारत गुर्जर, डकैत रामविलास गुर्जर और डकैत रघुराज गुर्जर शामिल हैं.

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एसपी ने लॉकडाउन के दौरान 22 से अधिक डकैतों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया है. मृदुल कच्छावा और उनकी टीम ने 11 महीने की कड़ी मेहनत के बाद डकैतों और अपराधियों को चुन-चुन कर सलाखों के पीछे भेजा है. एसपी की इस कामयाबी के पीछे करीब एक दर्जन युवा पुलिस निरीक्षक, डीएसटी टीम, आरएसी टीम और साइबर सेल की मुख्य भूमिका मानी जा रही है.

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एसपी के निर्देश में पिछले 11 माह से डकैतों, अपराधियों और बदमाशों की धरपकड़ के लिए विशेष अभियान छेड़ा गया. जिस अभियान के तहत पुलिस व डकैतों की कई बार मुठभेड़ हुई तो कहीं पुलिस के दबाव को देख बदमाशों और डकैतों ने आत्मसमर्पण किया. साथ ही कहीं मुखबिर तंत्र को मजबूत कर डकैतों को दबोचा गया जो धौलपुर पुलिस की सबसे बड़ी कामयाबी का हिस्सा माना जा रहा है.

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पकड़े गए डकैतों की लिस्ट

डकैत पप्पू उर्फ जदनार गुर्जर, डकैत भारत गुर्जर, डकैत रामविलास गुर्जर, डकैत रघुराज गुर्जर, डकैत रामवीर गुर्जर, डकैत सुरेंद्र ठाकुर, डकैत जसवंत गुर्जर, डकैत विजेंद्र उर्फ राम दुलारे, डकैत विनोद उर्फ बंटी पंडित, डकैत अनिल उर्फ गुड्डू ठाकुर, डकैत राजवीर गुर्जर, डकैत अजीत उर्फ जीतू ठाकुर, डकैत धीरा उर्फ धीरज, डकैत विक्रांत उर्फ विक्की, नीतू, डब्लू, जज्जोधन,  आकाश, ओमवीर उर्फ लादेन, विशाल, रईस, रवि उर्फ राघवेंद्र, तंबू उर्फ बम्बू, लाल सिंह गुर्जर, कल्ला उर्फ राम लखन मीणा, सीताराम गुर्जर, श्रीभान गुर्जर, रामबाबू उर्फ छैला, रमेश गुर्जर, सुभाष गुर्जर, मोहर सिंह गुर्जर, कल्लू उर्फ बैजनाथ गुर्जर,सीताराम गुर्जर,जंडेल गुर्जर, ज्वान सिंह गुर्जर,भूरा गुर्जर, बनिया उर्फ रिजवान, मेहताब गुर्जर, दशरथ गुर्जर, बंटू उर्फ बंटी गुर्जर, राजेंद्र कुशवाह, रामनिवास उर्फ खंगार, लुक्का, पप्पू गुर्जर सहित 57 डकैत और बदमाश सलाखों के पीछे हैं.  

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