ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख डॉक्टर और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर कॉलिग्नन ने कहा है कि हो सकता है कि जल्दबाजी में बनाई गई कोरोना वैक्सीन काम न करे और इसके साइड इफेक्ट के रूप में पैरालाइसिस जैसी गंभीर दिक्कतें हों. विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ काम कर चुके माइक्रोबायोलॉजिस्ट कॉलिग्नन ने कहा कि एक साल से पहले कोरोना वैक्सीन के उत्पादन से लाभ से अधिक नुकसान हो सकता है.
प्रोफेसर पीटर कॉलिग्नन का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया को एक साल तक वैक्सीन नहीं मिल पाएगी और सरकार को विदेशों से वैक्सीन खरीदने के लिए जल्दबाजी भी नहीं करनी चाहिए. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में ये सवाल उठने लगे थे कि अन्य देशों के साथ डील नहीं होने की वजह से देश वैक्सीन से वंचित रह सकता है.
डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोफेसर पीटर कॉलिग्नन ने कहा कि जो वैक्सीन पूरी तरह जांची नहीं गई है उससे हो सकता है कि सुरक्षा न मिले और लोग न्यूमोनिया से पीड़ित हो जाएं. सबसे बुरी स्थिति में वैक्सीन की वजह से पैरालाइसिस जैसी बीमारी भी हो सकती है.
प्रोफेसर पीटर कॉलिग्नन ने कहा कि हो सकता है कि सबसे बुरे परिणाम के शिकार 5 हजार लोगों में से भले ही एक हो. लेकिन जब 10 लाख लोगों को आप ये वैक्सीन लगाएंगे तो 200 लोग पैरालाइसिस के शिकार हो सकते हैं.
कॉलिग्नन ने कहा कि कोई सुरक्षित वैक्सीन जल्दी से जल्दी अगले साल ही आ सकती है. क्योंकि वैक्सीन की जांच हजारों लोगों पर करने में कई महीने का समय लगता है. पीटर कॉलिग्नन ने यह भी कहा कि सुरक्षित वैक्सीन की तलाश पूरी होने के बाद भी महामारी खत्म होने में कई साल लगेंगे.