पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस जघन्य आतंकवादी को बचाने में इस हद तक नीचे गिर गए हैं कि अपनी कंगाली का भी उनको ख्याल नहीं है. आतंकियों की खतरनाक बोली और गोली ही उन्हें अच्छी लगती हैं.
पाकिस्तान दाने-दाने के लिए मोहताज होने की कगार पर खड़ा है, फिर भी इस आतंकवादी को संरक्षण देने से बाज नहीं आ रहा है. पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ के सामने कहा है कि मसूद अजहर तो पाकिस्तान में नहीं है. एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे कैटेगरी में डाल रखा है और अगर उसे ब्लैक कैटेगरी में डाल देता है तो कई तरह के बैन का सामना करना पड़ेगा और पाकिस्तान पूरी तरह कंगाल हो जाएगा.
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए एफएटीएफ की शर्त है कि वो आतंकवादियों पर नकेल कसे लेकिन नकेल कसना तो दूर, पाकिस्तान यहां तक कह रहा है कि मसूद अजहर के परिवार तक का पता मालूम नहीं है.
पाकिस्तान का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र ने जिन्हें आतंकी घोषित किया है, उनमें 16 आतंकी उसके देश के हैं लेकिन इनमें सात मर चुके हैं. बाकी 9 में से सात ने संयुक्त राष्ट्र से अपील कर रखी है कि उन पर लगे आर्थिक और आने जाने पर पाबंदी हटाई जाए. इनमें लश्कर ए तैयबा का चीफ हाफिज सईद, हाजी मुहम्मद अशरफ, जफर इकबाल, हाफिज अब्दुल सलाम भुट्टवी, याहया मोहम्मद मुजाहिद, आरिफ कासमानी और अल कायदा का फाइनैंसर अब्दुल रहमान शामिल है. इनमें से से हाफिज सईद को तो पाकिस्तान ने कुछ दिनों पहले ही गिरफ्तार किया लेकिन जैश ए मुहम्मद के सरगना पर पाकिस्तान ने लीपापोती शुरु कर दी है.
फ्रांस की राजधानी पेरिस में एफएटीएफ की बैठक चल रही है. इसमें तय होने वाला है कि पाकिस्तान उसके ग्रे लिस्ट में रहेगा या उससे बाहर निकलेगा या फिर ब्लैक लिस्ट में चला जाएगा, लेकिन इसके लिए आतंकवादियों पर कार्रवाई करने की जगह इमरान खान उनको संरक्षण दे रहे हैं. हाफिज सईद को दिखाने के लिए गिरफ्तार किया और मसूद अजहर को लापता बता दिया.