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लाइलाज बीमारी से पीड़ित बच्चों को दी जा सकेगी मौत, इस देश में मिली मंजूरी

aajtak.in
  • 19 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST
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नीदरलैंड में कुछ बच्चे ऐसे हैं जो एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं और अब उनके परिजन अपने बच्चों की तकलीफ को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और ऐसे मरीजों के जीवन को खत्म करने की सरकार से अनुमति मांग रहे हैं. अब नीदरलैंड की डच सरकार ने डॉक्टरों को लाइलाज बीमारी से ग्रसित बच्चों के तकलीफ को खत्म करने के लिए उनके जीवन के अंत को मंजूरी दे दी है.

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हालांकि डच सरकार के इस फैसले के बाद चिकित्सा के क्षेत्र में इस तरह बच्चों को मृत्यु देने के तरीके पर बहस शुरू हो गई है. बता दें कि वहां की सरकार पहले से इस बात के पक्ष में रही है कि अगर किसी व्यक्ति को कोई ऐसी बीमारी हो जाए जिसका कोई इलाज नहीं और उसे बीमारी से बेहद तकलीफ हो तो ऐसी परिस्थिति में डॉक्टरों की मदद से मौत दी जा सकती है.

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डॉक्टरों की मदद से परिजनों की मंजूरी के बाद 12 साल या उससे कम उम्र के बच्चों को इस तरह की मौत दी जाती है. इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि इससे परिवार की तकलीफों को कम किया जा सकता है.

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इस फैसले को लेकर डच सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डी जॉन्ग ने संसद को एक चिट्ठी लिखी. उस चिट्ठी में उन्होंने देश में लाइलाज बीमारी से ग्रसित एक 12 साल के बच्चे को उसकी परिवार की इच्छा के अनुसार मृत्यु देने के लिए कानून में संसोधन का प्रस्ताव दिया है. मंत्री ने इसके लिए तर्क देते हुए कहा कि लाइलाज बीमारी से पीड़ित बच्चों के माता पिता, भावनात्मक, आर्थिक और मानसिक तकलीफ उठानी पड़ती है. उन्होंने कहा कि हालांकि इसलिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी.

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दुनिया में ट्री बार्क डिसऑर्डर, कशिंग सिंड्रोम, न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस जैसे कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है. अगर कुछ बीमारियों का इलाज है भी तो वो इतना ज्यादा महंगा है कि उसका खर्च उठाना संभव नहीं होता है.
 

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