मॉरीशस के दक्षिण पूर्व में जापानी मालवाहक पोत चट्टान से टकरा गया, जिसके बाद हुए तेल रिसाव को नियंत्रण में लेने के लिए भारत की तरफ से मदद भेजी गई है. इस पोत में 4000 मीट्रिक टन ईंधन था. मॉरीशस के आसपास के इलाकों में तेल रिसाव की वजह से वहां पर्यावरणीय आपातकाल लगा दिया गया. पिछले तीन दिन से वहां तेल रिसाव को नियंत्रित करने के लिए ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना अहम योगदान निभा रही है.
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ध्रुव लाइट चेतक हेलिकॉप्टर को मॉरीशस में फंसे जहाज से तेल निकालने के लिए तैनात किया गया है. गुजरात के गांधीनगर के पीआरओ डिफेंस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसकी जानकारी दी है. पिछले महीने 25 जुलाई को यह घटना घटी जिसके बाद पारिस्थितिक तौर पर संवेदनशील इस क्षेत्र में विपरीत प्रभाव जारी है.
भारत सरकार ने मॉरीशस में हुए तेल रिसाव के बाद मदद करने के लिए भारतीय वायुसेना के विमान के जरिए 30 टन से अधिक तकनीकी उपकरण और सामग्री भेजी थी. मॉरीशस की सरकार ने भारत से इस पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए सहायता मांगी थी. भारत ने समुद्र में फैले तेल को सोखने वाले 10 हजार पैड्स के साथ कोस्ट गार्ड की 10 सदस्यीय टीम मॉरीशस भेजी है.
विदेश मंत्रालय का कहना है कि आपदा आने पर भारत उनकी सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है. मंत्रालय के मुताबिक यह तत्काल सहायता भारत और मॉरीशस के बीच दोस्ती के करीबी संबंधों को दर्शाती है.
भारत लंबे अर्से से पड़ोसी प्रथम की नीति को आगे बढ़ाता आ रहा है. कोरोना वायरस के दौर में भारत ने इस नीति में और तेजी लाई है. कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए मॉरीशस समेत करीब 100 से ज्यादा देशों को भारत दवाओं की विशेष खेप पहुंचा चुका है.