मछली न सिर्फ बहुत से लोगों का पसंदीदा मांसाहारी खाना होता है बल्कि स्वास्थ्य के नजरिए से भी यह बेहद फायदेमंद माना जाता है. लेकिन कुछ लोगों ने इसे मुनाफे का कारोबार बना लिया है जिसके चक्कर में लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने लोगों को विदेशी मांगुर मछली खाने से सावधान किया है क्योंकि इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
महाराष्ट्र में मतस्य विभाग अफ्रीकी और विदेशी मांगुर (थाई मांगुर) मछली को लेकर लोगों में जागरूकता लाने के लिए मछली बाजार में पोस्टर लगाए हैं. पोस्टर में लोगों से ये मछलियां नहीं खाने और इससे होने वाली बीमारियों के बारे में बताया गया है.
महाराष्ट्र सरकार ने अब तक 28 टन विदेशी मांगुर मछली को जप्त किया है और उसे दफना दिया गया है. वहीं मुंबई के भिवंडी बाजार से सिर्फ 15 टन मांगुर मछली को पकड़ा गया और उसे मार दिया गया है. इंदापुर और भंडारा में भी 8 टन और 7 टन इस प्रजाति की मछलियों को बरामद कर उसे मारा गया है. पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है.
महाराष्ट्र सरकार ने अगले 10 दिनों में पूरे राज्य से इस मछली के भंडारण को खत्म करने का लक्ष्य रखा है और साफ किया है कि जो भी इसे पालते या बेचते हुए पकड़ा गया उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि विशेषज्ञों के मुताबिक यह मछली प्रकृति के साथ ही इंसानों के लिए भी नुकसानदेह हैं. इस मछली को खाने से कैंसर, डायबीटीज जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं. देसी मांगुर पालने, बेचने और खाने पर कोई प्रतिबंध महाराष्ट्र या देश के किसी भी राज्य में नहीं है. केरल सरकार ने पहली बार 1998 में अफ्रीकन मांगुर पर प्रतिबंध लगाया था.
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने सरकार को इस मछली पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. इसके बाद साल 2000 में भारत सरकार ने एनजीटी के आदेश पर अमल करते हुए इसके पालन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था.