Advertisement

ट्रेंडिंग

लॉकडाउन में दिव्यांग बने एक-दूसरे का सहारा, मुंबई से बिहार तक देते रहे मदद

सुनील कुमार तिवारी
  • 11 मई 2020,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST
  • 1/5

लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर अपने घर पैदल, साइकिल या लिफ्ट लेकर लौट रहे हैं. लौटने वालों में दिव्यांग भी हैं जो ट्राइसिकल की मदद से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं. उनके अंदर इस हालत में भी मदद का ऐसा जज्बा है कि रास्ते में यदि कोई दिव्यांग मिल रहा है, तो उसकी भी मदद कर रहे हैं.

  • 2/5

लोग अक्सर अपनी कमजोरी और परेशानियों का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट जाते हैं लेकिन लॉकडाउन के इस दौर में एक दिव्यांग, दूसरे दिव्यांग का सहारा बन रहे हैं. ऐसा ही एक वाकया बिहार के गोपालगंज में देखने को मिला.

  • 3/5

लॉकडाउन में फंसे दिव्यांग परवीन कुमार को जब कोई सहारा नहीं मिला तो उसके दिव्यांग दोस्त का उसे साथ मिला. मुंबई में फंसे बिहार के दोनों पैर से दिव्यांग मदन साह दरभंगा में स्टॉल लगाकर चाय बेचा करते थे. बचपन से ही पोलियो होने के कारण मदन के दोनों पैर काम नहीं करते थे, जिसकी वजह से दरभंगा में न तो कोई काम मिला और न ही रोजगार.

Advertisement
  • 4/5

वह घर-परिवार को चलाने के लिए मुंबई गया, जहां कोरोना का कहर बढ़ते देख लौटने  का फैसला किया. आठ दिन पहले मुंबई से मोटरयुक्त ट्राइसिकल से अपने जज्बे के साथ मंजिल तक पहुंचने का ठान ली. रास्ते में जो दिव्यांग मिला, उसको ट्राइसिकल में रस्सी बांधकर सहारा भी दिया.

  • 5/5

उन्हें बिहार में प्रवेश करने पर बेगूसराय का मजबूर परवीन मिला, जिसे भी उन्होंने सहारा दिया. अपनी मोटरयुक्त ट्राइसिकल से रस्सी बांधकर उसकी सादा ट्राइसिकल को वह खींचते हुए ले गए. रास्ते में उन्हें खाने के लिए भी तरसना पड़ा. आठ दिनों के सफर में किसी ने दिया तो खाया, नहीं तो पानी पी-पीकर वह ट्राइसिकल चलाते हुए मुंबई से बिहार के गोपालगंज में पहुंचे.

Advertisement
Advertisement