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20 दिन की मेहनत, दंपति ने खोदा 15 फीट गहरा कुआं, बन गए आत्मनिर्भर

योगितारा दूसरे
  • 21 मई 2020,
  • अपडेटेड 8:48 AM IST
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कोरोना वायरस के कहर के कारण पूरे देश भर में लॉकडाउन लगा हुआ है. इस लॉकडाउन के कारण भारत की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो गई है. इस कमजोर अर्थव्यवस्था से निपटने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी से आत्मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया. कुछ ऐसी ही सोच और जज्बे के साथ मध्य प्रदेश के सतना जिले के पिण्डरा गांव की बरहा मवान बस्ती में एक आदिवासी दंपति ने वो कारनाम कर दिखाया. जिसे देखकर पूरा देश हैरान हो रहा है.

(Photo Aajtak)

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मुश्किल परिस्थिति में कैसे आत्मनिर्भर बना जाए ये सिखाया है इस आदिवासी दंपति ने. जिन्होंने 20 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 15 फीट गहरा और साढ़े 5 फीट चौड़ा कुआं खोद डाला. दोनों ने घर में सब्जी भी उगानी शुरू कर दी. इस आदिवासी दंपति का कहना है कि दूसरों के आगे हाथ फैलाने से अच्छा है, खुद आत्मनिर्भर बना जाए.

(Photo Aajtk)

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गर्मी के आते ही मझगवां ब्लॉक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत पिण्डरा के आदिवासी बाहुल्य गांव बरहा मवान में भीषण पानी का संकट खड़ा हो जाता है. यहां सिर्फ 70 घरों के परिवार रहते हैं. लॉकडाउन में काम-धंधा छोडकर घर बैठे छोटू मवासी और उसकी पत्नी राजलली मवासी ने सोचा कि क्यों ना फुरसत के इन पलों में जलसंकट से दो-दो हाथ कर लिए जाएं.  बस फिर क्या था, दोनों पति-पत्नी अपने ही घर के पीछे कुआं खोदने में जुट गए.

(Photo Aajtak)

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इस कुएं को खोदने में 20 दिन लगे, जमीन के अंदर बड़े-बड़े पत्थर थे जिन्हें हाथों से तोड़ना आसान नहीं था. लेकिन आदिवासी दंपति के हौसलों और जज्बे के आगे पत्थर भी कुछ नहीं कर सके. आदिवासी दंपति के उस वक्त खुशी का ठिकाना नहीं रहा.  जब देखा कि कुएं में पानी निकल आया. पानी का संकट खत्म होने के बाद दोनों से घर पर साग-सब्जी भी उगानी शुरू कर दी.

(Photo Aajtak)

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छोटू मवासी ने बताया कि कोरोना के कारण मैंने और मेरी पत्नी ने ये फैसला किया कि घर पर बैठे-बैठे कुआं ही खोद डाला जाए.  यहां पानी की समस्या बहुत है  ये सोचकर हम लोगों ने यह कदम उठाया.  इसके बाद हमने छोटी सी बगिया भी सजा ली.  मझगवां में जो कामकाज था वो भी बंद हो गया. खाली बैठने से अच्छा है कुछ किया जाए. फिर हम दोनों ने मिलकर कुआ खोद डाला.

(Photo Aajtak)

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इसके अलावा छोटू मवासी का कहना है कि कुएं को खोदने में हमें 20 दिन लगे. अगर प्रशासन थोड़ी मदद करेगा तो यह पक्का भी हो जाएगा. इससे गांव वालों को पीने के पानी के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा. इस गांव में आजतक हमें कोई सरकारी लाभ नहीं हुआ ना ही हमारी किसी ने सुध ली है.

(Photo Aajtak)

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