महाराष्ट्र के लोनार झील के बाद अब इटली में स्थित एल्प्स की पहाड़ियों पर बर्फ का रंग गुलाबी (Pink Ice) होता जा रहा है. यूरोप के सबसे ऊंचे बर्फीले पहाड़ों पर अब बर्फ का रंग सफेद नहीं रहा. वह पिंक होता जा रहा है. इससे पहले मई के महीने में अंटार्कटिका की बर्फ हरे रंग में बदल गई थी. इन दोनों अजीबो-गरीब प्राकृतिक बदलावों को देख कर वैज्ञानिक भी परेशान है. क्योंकि ये बदलाव खूबसूरत तो दिखते हैं लेकिन ये पर्यावरण के हिसाब से गलत है. (फोटोः AFP)
इटली के नेशनल रिसर्च काउंसिल के बिजियो डी मॉउरो ने बताया कि ये एक प्रकार की एल्गी है. जिसे एंकाइलोनेमा नॉर्डेनस्कियोल्डी (Ancylonema Nordenskioeldii) कहते हैं. इसकी वजह से पतझड़ और गर्मी के मौसम में ऐसा होता है. लेकिन इनकी वजह से बनने वाला डार्क जोन खतरनाक है. (फोटोः AFP)
डार्क जोन बनने से बर्फ तेजी से पिघलने लगती है. ऐसा ही कुछ दिन पहले ग्रीनलैंड में भी देखने को मिला था. साथ ही अंटार्कटिका के बर्फीले पहाड़ों पर एल्गी का हमला हुआ था. जिससे वहां की बर्फ हरे रंग में बदल गई थी. (फोटोः AFP)
जैसे ही बर्फ पिघलेगी, यह एल्गी सूरज की रोशनी पाकर और तेजी से पहाड़ों पर फैलने लगेगी. इसकी वजह से पहाड़ों का फूड चेन और पर्यावरणीय चक्र खराब होने लगेगा. अगर इसी तरह से एल्गी फैलती रही तो इटैलियन एल्पस के पहाड़ों से साल 2100 तक दो तिहाई बर्फ पिघल जाएगी. (फोटोः AFP)
हाल ही में कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के लोनार झील में भी ऐसा हुआ था. जब वहां का पूरा पानी गुलाबी रंग में बदल गया था. घूमने और पर्यटन के हिसाब से ये प्राकृतिक बदलाव तो बेहद अच्छे लगते हैं लेकिन ये पर्यारवरण के लिए बेहद नुकसानदायक हैं. (फोटोः AFP)
आमतौर पर सफेद बर्फ सूरज की 80 फीसदी रेडिएशन को वातावरण में वापस भेज देती है. लेकिन अगर एल्गी की वजह से बर्फ पिघल जाएगी तो इस रेडिएशन की वजह से धरती पर कई तरह के दुष्प्रभावी बदलाव होंगे. (फोटोः AFP)
इटैलियन एल्पस के पासो गैविया (Passo Gavia) नाम की जगह पर सबसे ज्यादा बर्फ गुलाबी हुई है. इस जगह की ऊंचाई 8590 फीट है. अगर यहां से तेजी से बर्फ पिघली तो इस पहाड़ के नीचे स्थित आबादी वाले इलाकों को दिक्कत हो जाएगी. (फोटोः AFP)
पहले अंटार्कटिका (Antarctica) की तस्वीर सफेद आती थी लेकिन अब इसमें हरे रंग का मिश्रण शामिल हो रहा है. ये हरा रंग ज्यादातर अंटार्कटिका के तटीय इलाकों में ज्यादा देखने को मिल रहा है. हो सकता है कुछ सालों में आपको पूरे अंटार्कटिका में हरे रंग की बर्फ (Green Snow) देखने को मिले. (फोटोः AFP)
यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सेंटीनल-2 सैटेलाइट दो साल से अंटार्कटिका की तस्वीरें ले रहा है. इन्हें जांचने के बाद कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों ने पहली बार पूरे अंटार्कटिका में फैल रहे इस हरे रंग का मैप तैयार किया है. (फोटोः AFP)
वैज्ञानिकों को पूरे अंटार्कटिका में 1679 अलग-अलग स्थानों पर इस हरे रंग के बर्फ के प्रमाण मिले हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि अंटार्कटिका के बर्फ का हरे रंग में बदलने का कारण एक समुद्री एल्गी है. जिसकी वजह से अलग-अलग जगहों पर ऐसे रंग देखने को मिल रहे हैं. (फोटोः AFP)