बेंगलुरु में चल रहे मेगा एयर शो एयरो इंडिया में तमाम देशी और विदेशी कंपनियां अपने विमानों का प्रदर्शन कर रही हैं. इनका मुख्य मकसद भारतीय वायुसेना को आकर्षित करना है ताकि संभावित खरीदार के तौर पर प्रभावित किया जा सके. लेकिन इस एयरो इंडिया शो में जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है वो है भारत में बना सेमी स्टील्थ ड्रोन जो भविष्य के आसमानी जंग का सबसे प्रमुख हथियार होगा. हालांकि अभी इसे विकसित करने का ही काम चल रहा है और एयरो इंडिया में इसकी प्रतिकृति को उतारा गया है. (तस्वीर - ट्विटर/ @ReviewVayu)
इस सेमी स्टील्थ ड्रोन को वॉरियर का नाम दिया गया है जो एक स्वदेशी हथियार निर्माण कार्यक्रम का हिस्सा है. इसे CATS या कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम कहा जाता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे मानव युक्त (पायलट) और मानव रहित प्लेटफार्म दोनों तरीके से ऑपरेट किया जा सकेगा. इसे पूर्ण स्वदेशी फाइटरजेट तेजस के साथ युद्ध मैदान में जाने के लिए तैयार किया जा रहा है.
इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि दुश्मन के वायु क्षेत्र में तेजस के फाइटर पायलट के साथ मिलकर यह सुरक्षा के भारी इंतजामों के बीच भी मिशन को अंजाम दे सकता है. अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो वॉरियर ड्रोन को भारतीय वायु सेना के पायलट द्वारा उड़ाए जाने वाले तेजस लड़ाकू विमान के साथ संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है. इससे युद्ध क्षेत्र में जाने के साथ बचाव और हमला दोनों एक साथ हो सकेगा. ड्रोन आसमानी जंग में अहम भूमिका निभाएगा.
वॉरियर ड्रोन के तीन से पांच साल के भीतर उड़ान भरने की उम्मीद है और इसे बनाने का खर्च हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल) कंपनी उठा रही है. इस पर काम करने वाले एक विशेषज्ञ ने कहा कि ये ड्रोन ऐसा योद्धा होगा जिसे सारी कमांड तेजस फाइटर जेट से मिलेगी. उन्होंने कहा कि ये ड्रोन हर मिशन की प्रभावशीलता को अधिकतम करने के साथ ही वायुसेना के फाइटर पायलटों के जान जाने के जोखिम को भी कम करेंगे. (तस्वीर - ट्विटर/ @ReviewVayu)
विशेषज्ञ के मुताबिक ये ड्रोन युद्ध क्षेत्र में जहां पायलटों के रक्षक होंगे वहीं दुश्मनों के लिए भक्षक होंगे. वॉरियर ड्रोन को हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस किया जा रहा है. इसका इस्तेमाल जमीन पर या हवा में निशाना साधने के लिए किया जाएगा. (तस्वीर - ट्विटर/ @ReviewVayu)
वॉरियर को जो दूसरे ड्रोन से अलग बनाता है वो ये कि इसे दुश्मन अपने सर्विलांस सिस्टम और रडार के जरिए भी नहीं पकड़ सकता. यही वजह है कि इसे 'लो ऑब्जर्वेबल' श्रेणी में रखा गया है जो दुश्मन देश के लिए हमेशा चुनौती पेश करेगा. (तस्वीर - ट्विटर/ @ReviewVayu)