अब अरब सागर से लेकर हिंद महासागर तक भारतीय नौ सेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होने वाला है. नेवी के बेड़े में तीसरे स्कॉर्पीन पनडुब्बी करंज को शामिल किया जा रहा है. जल्द ही औपचारिक रूप से इसे कमीशन कर दिया जाएगा. बता दें कि इस पनडुब्बी को मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया गया है और इससे पहले 2 P75 स्कॉर्पीन पनडुब्बी करंज को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा चुका है.
साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दबदबे और भारत की सामिरक चुनौतियों के तहत देश की जल सीमा को सुरक्षित बनाने में इस पनडुब्बी के जरिए नौ सेना को मदद मिलेगी. करंज के ऑपरेशनल होते ही भारत पनडुब्बी बनाने वाले अग्रणी देशों की लिस्ट में शुमार हो जाएगा. भारतीय नौ सेना की आवश्यकताओं के हिसाब से निर्माण करने वाली देश की प्रमुख शिपयार्ड कंपनी एमडीएल इससे पहले नौ सेना को खंडेरी, कलवरी और अब करंज पनडुब्बी बनाकर दे चुकी है.
इस पनडुब्बी को मुंबई में मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड कंपनी ने फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के समझौते के तरत बनाया है. इस सौदे के तहत कुल 6 पनडुब्बियां बनाई जाएंगी. करंज पनडुब्बी अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और यह सतह और पानी के अंदर से टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च्ड एंटीशिप मिसाइल फायर करने की क्षमता रखता है.
भारतीय नौसेना के अधिकारियों के मुताबिक आईएनएस करंज का निशाना बेहद सटीक है और यह दुश्मन के हर तरह के खतरों से निपटने में कारगर है.
करंज पनडुब्बी एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाने और एरिया सर्विलांस जैसे मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है. 1992 और 1994 में एमडीएल द्वारा निर्मित दो एसएसके पनडुब्बियां 25 सालों से अधिक हो जाने के बाद भी अभी सेवा दे रही हैं.