लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए खूनी संघर्ष में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को अंतिम विदाई दी जा रही है. पटना के शहीद सुनील कुमार का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. उनके 10 साल के बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी. शहीद सुनील कुमार की पत्नी रीति कुमारी ने कहा कि सरकार इस शहादत का बदला ले.
(Photo: PTI)
दरअसल, गुरुवार सुबह बिहार के बिहटा में शहीद जवान सुनील कुमार का पार्थिव
शरीर पहुंचा. गांव में जब पार्थिव शरीर पहुंचा तो सैकड़ों की संख्या में
लोग इकट्ठा हुए. इस दौरान भारत माता की जय के नारे लगाए गए और सेना के कई
अफसर मौजूद रहे.
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शहीद के पार्थिव शरीर के साथ हजारों की संख्या में
लोग चल रहे थे. रास्ते में लोगों ने पार्थिव शरीर पर फूल भी बरसाए. लोगों ने शहीद सुनील भैया अमर रहें और हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे
लगाए. इस दौरान लोगों ने चीनी सामानों के बहिष्कार के भी नारे लगाए.
सुनील
कुमार के पिता का नाम बासुदेव और मां का नाम रुक्मिणी देवी है. उनकी
2002 में नौकरी लगी थी. 2004 में अरवल जिले के सकड़ी गांव की रीति कुमारी से
शादी हुई थी. सुनील के तीन बच्चे हैं. 10 साल का आयुष, 5 साल का विराट और
एक बेटी सोनाली है. उसकी उम्र 12 साल है.
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दरअसल, गलवान घाटी में
शहीद हुए सभी 20 जवानों के पार्थिव शरीर को सबसे पहले दिल्ली लाया गया,
इसके बाद उनके गांव भेजा गया. जहां स्थानीय नेताओं और सरकारों के
प्रतिनिधियों ने श्रद्धांजलि दी. अभी सभी के पार्थिव शरीर घर नहीं पहुंचे
हैं, कुछ के पार्थिव शरीर जल्द ही घर पहुंचेंगे.
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शहीद जवान के पार्थिव शरीर को सेना के वाहन पर रखा गया था. बिहार रेजिमेंट के जवान और अधिकारी बड़ी संख्या में अंतिम यात्रा में शामिल हुए. सेना के जवानों की मौजूदगी में गंगा के हल्दी छपरा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया.
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मालूम हो कि सोमवार यानी 15 जून को गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ. इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हुए, जबकि चीन को भी बड़ा नुकसान हुआ. हालांकि, चीन की ओर से उसके घायल या मारे गए जवानों की जानकारी नहीं दी गई है.
जवान ने बयां की दास्तां:
उधर इस खूनी संघर्ष में घायल हुए अलवर, राजस्थान के जवान
सुरेंद्र सिंह ने गलवान घाटी में हुए पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया. साथ
ही पहली बार किसी घायल ने चीन के पूरे षडयंत्र के बारे में आखों देखी बताई है.
सुरेंद्र
सिंह ने बताया कि चीनी सैनिकों ने धोखे से गलवान घाटी से निकलने वाली नदी
पर अचानक भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया. करीब 4 से 5 घंटे तक नदी में ही
सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष चलता रहा. उस वक्त भारत के करीब 2 से ढाई सौ
जवान मौजूद थे. जबकि चीन के 1000 से अधिक जवान थे. (फाइल फोटो में जवान सुरेंद्र
सिंह)
उन्होंने बताया
कि गलवान घाटी की नदी में हाड़-मांस को गला देने वाले ठंडे पानी में यह
संघर्ष चलता रहा. उनका कहना था कि जहां यह संघर्ष हुआ उस नदी के किनारे
मात्र एक आदमी के लिए निकलने की जगह थी. इसलिए भारतीय सैनिकों को संभलने
में भारी परेशानी हुई. भारतीय
सैनिक भी चीन के सैनिकों को अच्छा सबक सिखा सकते थे लेकिन हम पर उन्होंने
साजिश के तहत और धोखे से हमला किया.
उन्होंने फोन पर बताया कि अब वह
स्वस्थ हैं और लद्दाख के सैनिक हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है. उनके एक
हाथ में फैक्चर है और सिर में करीब एक दर्जन टांके लगे हैं. उन्होंने उस
घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 5 फुट गहरे पानी में करीब 5 घंटे चले संघर्ष
में सिर में चोट लगने से वह घायल हो गए थे और अन्य सैनिकों ने उन्हें बाहर
निकाला. उन्हें तब तक होश था इसके बाद उन्हें लद्दाख के हॉस्पिटल में ही
आकर करीब 12 घंटे बाद होश आया.
जाबांज सुरेंद्र सिंह राजस्थान के
अलवर जिले के नौगांवा ग्राम के रहने वाले हैं. घटना की सूचना के बाद से
परिजन चिंतित हैं. लेकिन लद्दाख के अस्पताल में भर्ती सुरेंद्र सिंह से फोन
पर परिजनों की बात होने के बाद उन्हें ढांढस बंधा है. परिजन ईश्वर से सभी
घायल जवानों के लिए शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं.