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हिटलर के 'पालतू मगरमच्छ' की मॉस्को के चिड़ियाघर में मौत!

aajtak.in
  • 25 मई 2020,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST
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रूस की राजधानी मॉस्को के चिड़ियाघर में एक मगरमच्छ की मौत हो गई. अब यह मगरमच्छ सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. क्योंकि, कहा जाता है कि जब बर्लिन चिड़ियाघर में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने बमबारी की तब भी यह मगरमच्छ बच गया था. इसे जर्मनी के शासक एडॉल्फ हिटलर का पालतू मगरमच्छ कहा जाता है.

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इस मगरमच्छ का नाम है सैटर्न. यह मॉस्को के चिड़ियाघर में 1946 से बंद था. कहा जाता है कि जर्मनी में बर्लिन के चिड़ियाघर में यह मगरमच्छ लोगों के बीच बड़ा फेमस था. कहानी यह भी कही जाती थी कि यह मगरमच्छ हिटलर के पालतू जानवरों के कुनबे में था. इसके बारे में विश्व विख्यात रूसी लेखक बोरिस अकुनिन ने कहानियां भी लिखी थीं. (फोटोः एएफपी)

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कहा जाता है कि जैसे ही बर्लिन चिड़ियाघर में सैटर्न मगरमच्छ को लाया गया एक अफवाह फैल गई कि यह हिटलर का पसंदीदा पालतू जानवर था. मॉस्को चिड़ियाघर के पूर्व कर्मचारी डिमित्री वासीलेव ने कहा कि हिटलर को यह पसंद था. (फोटोः एएफपी)

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कहा जाता है कि सैटर्न का जन्म 1936 में मिसीसिपी में हुआ था. उसके बाद उसे पकड़कर बर्लिन चिड़ियाघर लाया गया था. ये भी कहानी है कि नवंबर 1943 में बर्लिन पर जब ब्रिटेन के सैनिकों ने बमबारी की तब पूरा चिड़ियाघर ध्वस्त हो गया. कई जानवर मारे गए लेकिन सैटर्न मगरमच्छ बच गया था. (फोटोः हिस्ट्रीकलेक्शन.कॉम)

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एक कहानी ये भी है कि जब चिड़ियाघर पर बमबारी हो रही थी तब सैटर्न मगरमच्छ सीवेज ड्रेनेज से होते हुए बेसमेंट में जाकर छिप गया था. 1990 में एक कहानी आई कि जब सोवियत संघ टूटा और रूसी संसद पर बम दागे गए तब सैटर्न रो रहा था. क्योंकि, उसे बर्लिन बमबारी की याद आ रही थी. इसके बाद इसे मॉस्को जू में शिफ्ट किया गया था. (फोटोः एपी)

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1980 में उसके ऊपर मॉस्को के चिड़ियाघर में कॉन्क्रीट की स्लैब गिर पड़ी थी. वह तब भी बच गया. किसी ने एक बार उसके सिर पर पत्थर दे मारा था. फिर, उसका बहुत लंबा इलाज चला था. (फोटोः एपी)

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सैटर्न के मरने के बाद मॉस्को जू में श्रद्धांजलि सभा रखी गई थी. चिड़ियाघर की तरफ से एक संदेश जारी किया गया जिसमें लिखा था कि सैटर्न एक पूरा इतिहास था. उसने इस दुनिया में बहुत कुछ बदलते देखा था. (फोटोः विकीपीडिया)

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