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नेपाल से बिगड़े रिश्तों से भारत के इस राज्य को हुआ बड़ा नुकसान

अनिलेश एस. महाजन
  • 07 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 6:17 PM IST
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कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन और नेपाल से चल रहे तनाव के कारण भारत के पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश भारत में जम्मू कश्मीर के बाद दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य है. लेकिन यहां नेपाल से आने वाले मजदूरों की कमी की वजह से इस साल सेब की खेती चौपट हो गई है.

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हिमाचल प्रदेश में हर साल लगभग 5 लाख मजदूर नेपाल और देश के बाकी राज्यों से अप्रैल माह में आते हैं और सितंबर तक सेब के बागानों में काम करते हैं. खासकर नेपाली मजदूर से हिमाचल के किसान सेब की खेती करवाते हैं क्योंकि वो सेब की बुआई से लेकर तुड़ाई तक के कामों में माहिर होते हैं.

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पहाड़ों में रहने के कारण नेपाली मजदूर हिमाचल में ऊंचे-नीचे इलाकों में खेती आसानी से कर पाते हैं. पर इस साल नेपाली मजदूर ना आने के कारण सेब की खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है.

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गौरतलब है कि सेब की फसल जुलाई से सितंबर अंत तक होती है जिसकी तैयारी अप्रैल से ही शुरू हो जाती है. हिमाचल प्रदेश में हर साल करीब 3 करोड़ सेब के बक्सों की पैदावार होती है जो भारत के कुल सेब की पैदावार का 21 प्रतिशत है.

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वहीं, जम्मू-कश्मीर की बात करें तो यहां सेब की खेती को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है क्योंकि जम्मू कश्मीर में सेब की खेती वहां के स्थानीय मजदूरों पर निर्भर करती है.

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इस बारे में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से नेपाल मुद्दे पर कोई हल निकालने की मांग की है. लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

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हालांकि, सेब के बागानों के मालिक उत्तर प्रदेश और बाकी तराई क्षेत्र के राज्यों से मजदूरों को लेकर आए हैं. यहां तक की कई बसें मजदूरों को लाने के लिए लगाई गई है. लेकिन यह सब बागान मालिकों को महंगा साबित हो रहा है.

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रामपुर में सेब बागान के मालिक मोहित नेगी का कहना है कि नेपाली मजदूरों के पास सेब की खेती का अनुभव होता है. इसकी वजह से उन्हें प्राथमिकता दी जाती है. वो एक हजार रुपये प्रतिदिन तक लेते हैं, लेकिन बिगड़े हालातों की वजह से मजदूर 1500 से 1700 रुपये तक ले रहे हैं. यदि मजदूरों को हिमाचल लाया भी जाता है तो उन्हें कोरोना प्रोटोकॉल पूरा करना पड़ता है.

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शिमला के आसपास अभी सेब के बागानों में काम शुरू हुआ है लेकिन मजदूरों के अलावा मौसम की भी मार किसानों को झेलनी पड़ रही है. जून में आई बेमौसम बारिश से भी सेब की फसल को काफी नुकसान हुआ है. फिलहाल हिमाचल प्रदेश की सरकार इस परेशानी से निपटने में जुटी हुई है.

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