Advertisement

ट्रेंडिंग

धरती के अंदर ऐसी सतह जिसके बारे में कोई नहीं जानता, दिया गया है ये नाम

aajtak.in
  • कैनबरा,
  • 16 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:34 PM IST
  • 1/10

धरती के अंदर एक छिपी हुई सतह भी है, जिसके बारे में संभवतः कोई नहीं जानता. ये भी नहीं जानता कि ये कैसे बनी? किस चीज से बनी है? इसका व्यवहार कैसा है? एक नए रिसर्च में खुलासा हुआ है कि धरती के केंद्र में स्थित सॉलिड इनर कोर के अंदर एक और सतह मौजूद है. लेकिन इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. ये एकदम रहस्यमयी है. हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि ये अत्यधिक तापमान और दबाव में आयरन के स्ट्रक्चर में होने वाले बदलाव के बारे में नया खुलासा कर सकता है.  (फोटोःगेटी)

  • 2/10

कैनबरा स्थित ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (Australian National University) में सीस्मोलॉजी के डॉक्टोरल स्टूडेंट जो स्टेपहेन्सन (Jo Stephenson) ने कहा कि हमारी स्टडी में सॉलिड इनर कोर (Solid Inner Core) के अंदर इनर-इनर कोर (Inner-Inner Core) का पता चला है. वह सिर्फ लोहे का गर्म गेंद नहीं है. वह कुछ और है लेकिन उसके बारे में हमें ज्यादा पता नहीं है.  (फोटोःगेटी)

  • 3/10

धरती का कोर दो हिस्सों में बंटा है. पहला हिस्सा है लिक्विड आउटर कोर यानी वो हिस्सा जहां पिघला हुआ लावा बहता रहता है. ये धरती की सतह से 2897 किलोमीटर नीचे हैं. इसमें पिछले हुए तरल धातु बहते रहते हैं. यहां का तापमान 2204 से 4982 डिग्री सेल्सियस तक रहता है.  (फोटोःगेटी)

Advertisement
  • 4/10

धरती की सतह से करीब 5150 किलोमीटर नीचे सॉलिड आयरन का कोर शुरू होता है. इसे ही सॉलिड इनर कोर (Solid Inner Core) कहते हैं. जिसमें सिर्फ लोहा ही नहीं होता. इसमें कुछ मात्रा में निकल (Nickel) भी होता है. वैसे इनर कोर के अंदर एक और सतह का आइडिया 1980 में आया था. लेकिन इनर कोर तक जाने और उसका अध्ययन करने की कोई वैज्ञानिक व्यवस्था नहीं थी. इसलिए इस आइडिया पर किसी ने काम नहीं किया. (फोटोःगेटी)

  • 5/10

वैज्ञानिकों ने इस सतह का पता लगाने के लिए भूकंपीय लहरों को नापा है. इन लहरों के अनुसार धरती के इनर कोर की कई तस्वीरें बनाईं. क्योंकि जब धरती के किसी हिस्से में कोई भूकंपीय लहर उठती है तो वह दूसरे हिस्से में जाते-जाते बदल जाती है. बदलाव रास्ते में आने वाली चीजों से पड़ता है. इसी बदलाव को नापकर ये पता किया जाता है कि वो लहर आखिर किस चीज से होकर गुजरी है.  (फोटोःगेटी)

  • 6/10

हैरानी की बात ये है कि जब भूकंपीय लहर उत्तर से दक्षिण की तरफ जाती हैं और धरती के केंद्र को पार करती हैं तो वह इक्वेटर लाइन से गुजरने वाली अन्य भूकंपीय लहरों की तुलना में ज्यादा तेज हो जाती हैं. ये बात किसी को पता नहीं कि आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है. इसका कारण वैज्ञानिक पता नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन इससे संबंधित आंकड़ें और जानकारियां हमेशा मिलती रहती हैं. इसे एनिसोट्रॉपी (Anisotropy) कहते हैं.  (फोटोःगेटी)

Advertisement
  • 7/10

जो स्टेपहेन्सन ने कहा कि धरती के इनर कोर में कुछ तो अलग है. इसके बारे में साल 2000 के शुरुआत में ही सबूत मिलने लगे थे. उस गहराई में एनिसोट्रॉपी बाकी के इनर कोर से अलग दिखती है. पिछले दो दशकों से धरती के केंद्र से आने वाले सिग्नलों का डेटा तैयार है. लेकिन उसे समझना मुश्किल हो रहा है. वो बेहद धुंधली हैं. उन्हें समझना काफी कठिन है. (फोटोःगेटी)

  • 8/10

जो स्टेपहेन्सन (Jo Stephenson) और उनकी टीम ने 1 लाख भूकंपीय लहरों का विश्लेषण किया. ये सारी लहरें धरती के कोर से होकर गुजरी. जो स्टेपहेन्सन की टीम ने देखा कि धरती के केंद्र से 650 किलोमीटर की दूरी तक इनर-इनर कोर हो सकता है. यहां से निकलने वाली भूकंपीय लहरें 54 डिग्री एंगल पर घूम जा रही थीं. जबकि, कोर के ऊपर से निकलने वाली लहरें सीधी जा रही थीं.  (फोटोःगेटी)

  • 9/10

इस समय शोधकर्ता मिनरल फिजिसिस्ट और जियोडायनेमिसिस्ट के साथ मिलकर इनर-इनर कोर का मॉडल तैयार करने में लगे हैं. जैसे-जैसे ग्रह ठंडा होता गया, धरती का केंद्र भी ठंडा होता गया और फैलता गया. ऐसा हो सकता है कि इनर-इनर कोर के अंदर आयरन क्रिस्टल फॉर्म में हो. जो इतने ज्यादा तापमान और दबाव को बर्दाश्त कर रहा है. (फोटोःगेटी)

Advertisement
  • 10/10

जो स्टेपहेन्सन (Jo Stephenson) ने बताया कि धरती के केंद्र की तस्वीर लेना एक मुश्किल काम था. क्योंकि भूकंपीय लहरें एक समान पूरी धरती पर नहीं घूमतीं. न ही प्रभाव छोड़ती हैं. इसलिए डेटाशीट में कई जगहों पर ब्लाइंड स्पॉट्स भी थे. अब वैज्ञानिक ऐसी भूकंपीय लहरों पर काम कर रहे हैं जिन्हें एक्जोटिक फेसेज (Exotic Phases) कहते हैं. (फोटोःगेटी)

Advertisement
Advertisement